मैं ना जानूँ , कौन पराया | Main Na Janu Kon Paraya
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
174
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)लडका भी कैसा है जो अपने दुर्गुण का विज्ञापन कर रहा है। इससे स्पष्ट
है कि उसमें इस कमी के साथ विशेषता भी रही होगी | आज लडकी के चश्मा
लग रहा है तो लेन्स लगा लेते हैं ताकि पता नहीं चले। बीमारिया छिपाते हैं।
भगवान ने कहा है कि- “कन्नालिए गोगलिए, भोमालिए” | अर्थात् कन्या के
लिए झूठ नहीं बोलना। पर आज कन्या के लिए झूठ बोल रहे हैं। लडकियो
को दुखी कर रहे हैं। उस लडकी ने अपने माता-पिता से स्पष्ट कह दिया
कि मुझे इस लडके के साथ ही शादी करना है। माता-पिता में उसे खूब
समझाया परतु लडकी ने भी अपने माता-पिता को समझाया कि जो अपना
दुर्गुण प्रकट कर सकता है, उनमे अनेक सद्गुण जरूर होते हँ ओर वैसे भँ
स्वय ध्यान रखूगी । पत्ति परमेश्वर का रूप होता है । अत हर इशारे को वैसे
भी मानना ही है! आप किसी तरह की चिता मत करो मेरा सवघ इसी लडके
के साथ कर दीजिए]
माता-पिता को अपनी लडकी पर पूरा मरोसा था कि इसकी सोच
एकदम सही है। इसलिए उन्होंने उससे सबंध करना त्तय कर लिया। कुछ
समय बाद इसकी शादी हो गयी। लडकी खूब सावधानी रखती। पति के
इशारे पर चलती। पति के मानस-स्वभाव को समझकर हर कार्य में प्रवृत्त
होती थी। अत दो वर्ष में झगडे का अवसर ही नहीं आया। एक सन््तान भी
हो गयी। किन्तु युवक ने सोचा झगडा हो नहीं रहा है। अब कया करें ? झगडा
हुये बिना तो मजा नहीं आता। अगर नाराज हो जाय तो पत्नी को वापस
मनाने मे मजा आयेगा उसने सोचा कि मैं किसी तरह इसे छेडू। उसने प्लान
बनाया और कहा आज आलू के जितने भी आइटम बन सके उतने बनाना।
जो मागू वही आना चाहिये। अगर नहीं आया तो ठीक नहीं रहेगा। पत्नी ने
कहा-ठीक है। उसने सारी तैयारी चालू कर दी, हर तरह के आइटम तैयार
किये। कचौरी, समोसा, आलू का हलवा, टिकिया, बाटी, पूडी आदि। शाम
को युवक घर आया। पति के बैठने के लिए सुन्दर तैयारी थी। टेबल पर
थाली रखी। युवक जो मागे वही हाजिर। पत्नी पूछ रही थी और क्या
हाजिर कर ?
आज आलू घर-घर मे बडे शोक से खाया जा रहा है । किन्तु उन्हें
मालूम है या नहीं आलू में कितने जीव होते है! एक सूर की नोक पर आये
उतने आलू में अनत जीव होते है । सूर के अग्रमाव पर समाये उतने कद-मूल
मेँ असख्याता श्रेणिया होती ई । एक-एक श्रेणी मेँ असख्याता प्रतर ভীতি ই।
एक-एक प्रतर से असख्याता गोते ई । एक-एक गोले मेँ असख्याता शरीर
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