जोय्तिषसार | Jyotissaar

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Jyotissaar  by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पूरवाधे, (५९) ॥ ॥ स्वामी ॥ वान्हिविरिंचोगिरिजागणेद: फाणि- विदाखोदिनकन्महेशः ॥ दुगीतकोबिश्वहरी समर श्वशवे ः शंशीचेतिपुराणदृष्टि: ॥१॥ अमायाः पित- र: प्रोक्तास्तिथीनामधिपा: क्रमात्‌॥ संज्ञा॥ नेदाच भद्राचजयाचरिक्तापूर्णतिसवास्तिथय : क्रमात्स्यु : ॥ कनिष्ठमध्येष्ठफलाश्वशुक्वेकृष्णमवैत्युत्तममध्यह्दीनाः १॥ पाठन ॥ कूष्मांडंडहतीफलानिउव्णवर्ज्यतिठा- स्ठ॑तधातिठंचामठकंदिवंप्रवसतांशी्षकपाठांत्रकं ॥ निष्पावांश्वमसूरिकाफलमथोवुताकसंदम घुव्यूतंखी- गर्मनक्रमात्‌प्रातिपदादिष्वेवमाघोडदा ॥ १ ॥




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