राज्य प्रबंध शिक्षा | Rajaya Prabandh Shiksha
श्रेणी : हिंदी / Hindi
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
17 MB
कुल पष्ठ :
170
श्रेणी :
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टी० माधवराव - T. Madhavrao
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रामचंद्र शुक्ल - Ramchandra Shukla
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand){९1
शनियों के सेषक्षो बा दासों के दाच्च লী यहो
ইলা ভান ।
. জত্বহাশ-ইঘ শীক্ষতী के छाटे छोटे अपराधों के बहुल
ज्यादह ध्यान में मन लाना चाहिये आर न उनके लिए उन्हें
कडी कड़ी सज़ाय देनो चाहिए। सब नोकरों से कुछ न कुछ
अपराध है। हो जाया करते हैँ । ध्यान इस बात का रखना
चाहिए कि वे शेसे छेोठे अपराधों से आगे न बढ़ने पांवें ।
उनका दृण्ड-यदि कोई महल का सेक रेखा अचरा
करे लिपसे उसके दण्ड देना आवश्यक हा ता भौ उचित
यही है कि उसके दण्ड के लिए स्वयं महाराज জা
कारधषाई न करें। दंड या तो महल का कोदे बड़ा
प्रसर दे या अदालत दे, जेघा मामला डे । यह इस लिय
है जिसमें महाराज से व्यथ किसी के ट्ष न हने परे)
भूल श्वत्य-महल में जहां तक हे पृश्लनी नोकरों
के रखना अच्छा हो हे क्योंकि उन्हें राजपरिवार के
साथ अधिक खेह रहता हे । यदि कोई बढ़ा नोक्र झर जाय;
अधवा रोग वा बुढ़ापे आदि के कारण अशक्त हो जाय तो
के लड़के, भ है था ओर कछिछी संबंधी के জ্বীন জ্বাল ই
देना अच्छ' हे | पर राज्य के कमेचारो नियक्ता करने में इस पेलुक
सिद्धान्त पर चलना सवेथा अनुचित हे क्योकि राज्य के कामे
में विशेष गणों को आवश्यकता रहतो हे ।
ভা জা कोई राज्य सम्बन्धी क्वाय्ये- शेसे भो हेते हं
मे इनके य्य गृ अ
লন करने बाले दे वंसते में
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