राजनीतिक भारत (1940-51) | Rajnaitik Bharat (1940-51)

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Rajnaitik Bharat (1940-51) by कन्हैयालाल वर्मा - Kanhaiyalal Verma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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| ( १० ) तथा बाहरी किसी प्रकार की बातों में किसी के अधीन न इगी ! अतएव सम्राट की सरकार ने निम्नलिखित घोषणा का निश्चय किया है-- --युद्ध समाप्त होने के पश्चात्‌ शीघ्रातिशीघ्र एक ऐसी निर्वाचित सभा स्थापित की जायगी जिसका काम भारत के लिए नये संविधान का निर्माण करना होगा । २--इस सभा में भारतीय रियासतों के साग लेने की व्यवस्था की जायगी । ३--निम्नलिखित शर्तों पर सम्राट की सरकार. शीघ्रातिशीघ्र नव- निर्मित संविधान को स्वीकार तथा कार्यान्वित करने का वचन देती है-- (अ) यदि ब्रिटिश भारत का कोई प्रांत नये संविधान को अपनाने के लिए तैयार न होगा तो उसे अपनी मौजूदा संवैधानिक स्थिति बनाये रखने का अधिकार होगा ओर उसके भविष्य में सम्मिलित करने की व्यवस्था कौ जायगी, यदि वह इसके पक्ष में निर्णय करे । सम्मिलित न होने बाले प्रातो को, यदि वे चाहं, तो सम्राट को सरकार एक नया संविधान देने के लिए तैयार रहेगी जिसके अनुसार उन्हें भारतीय यूनियन का सा दर्जा मिल जायगा और उसके प्राप्त करने का वही मार्ग होगा जिसकी व्यवस्था की जाय। (ब) सम्राट की सरकार और संविधान-सभा में एक संधि होगी । इसमे उन सव बातों का उल्लेख होगा जो अंगरेजों से भारतीयों के हाथ में उत्तरदायित्व देने के संबंध में होंगी। सम्नाटठ को सरकार द्वारा दिये गये वचनों के अनुसार इसमें जातीय और धार्मिक अल्प-




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