पाणिनीकालीन भारतवर्ष | Parikalin Bharat

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : पाणिनीकालीन भारतवर्ष - Parikalin Bharat

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about डॉ वासुदेवशरण अग्रवाल

Add Infomation About

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
2585: 0.৮: ই य~ = = न ডি তি হই, ভীতি ০০২ 7 টি পিন { श सर्वार्थानां व्याकरणाद्‌ वैयाकरण उच्यते | परत्यक्चदर्थी लोकानां सवंदर्धी भवेन्नरः ॥ ( उद्योग ४३३६ ) सब भरथो का व्याकरण, विवेचन, निरवेचन, प्रकृति और प्रत्यय का प्रथक्‌ स्पष्टीकरण, इका प्रयत्न करना दी वेयाकरण का काये है। सर्वार्थः शाब्द की व्यंजना दूर तक दे ; इसमें जो जितनी सामग्री भर सके वही उसकी सफलता है। पाणिनि ने क्लोक की भाषा में प्रच्षित अनेक अर्थो' के व्याकरण” का जो समन्तात्‌ भ्रयन्न किया, वह अष्टाध्यायी के सूत्रों मँ शाश्वत काल के लिये निष्ठित है। भगवान्‌ पाणिनि द्वारा उपज्ञात यह मत्‌ धीर सुविदित शास पवंतघटित केलास मंदिर के समान विश्व का आश्चय है । पाणिनि के सूत्रों की शोभना कृति रौर अथं गौरव उसरी खयभ्भू शिवधाम के खमान अनन्त कृति है। शताब्दियों के विस्तृत अन्तराल ने उदकी महिमा का संवर्धन ही किया है। जबतक व्योम में र ओर सूये प्रकाशित हैँ तवतक पाणिनि का यह्‌ शब्दशाख् लोक में प्रवर्धभान रहेगा। न्यूनतम समय में मुद्रण काये सम्पन्न करने के लिये नागरी मुद्रण काशी के प्रबन्धक भी महताब रायजी कार्म आभार मानता हूँ । श्री राजबली जी पाण्डेय, मंत्री नागरीप्रचारिणी सभा, काशी ने कागज की व्यवस्था कराने मे जो सहायता की उसके लिये में उनका उपकृत हूँ। श्री रामशंकर भट्टाचारय, श्री रेवाप्रसाद, श्री जगन्नाथ पाठक भोर श्री अजय मित्र ने पाण्डुलिपि ओर शब्दानुक्मणी तैयार करने में जो परिश्रम किया उम्रक लिये उन्हें धन्यवाद है । काशी विश्वविद्यालय मार्गशीर्ष शुक्र २, ख्लं० २०१२ वासुदेवशरण




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now