Mahamanav Buddh by राहुल सांकृत्यायन - Rahul Sankrityayan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प् महामानव बुद्ध ख ठीक आचार--ू ठीक वचन--भूठ चुगली कट़माषण और वकवाससे रहित सच्ची मीठी बातों का बोलना । ठीक कर्म--हिंसा-चोरी-व्यमिचार-रहित कर्म ही ठीक कर्म है । ठीक जीविका--भूठी जीविका छोड सच्ची जीविका से शरीर- यात्रा चलाना । उस समय के शासक शोषक समाज द्वारा तनुमोदित सभी जीविकाशों में य्राणि-हिंसा सम्बन्धी निम्न जीविकाशओं को ही बुद्ध ने भूटी जीविका कहा-- दथियारका व्यापार प्राखिका व्यापार मांसका व्यापार मद्यका व्यापार विधका व्यापार | ग ठीक ससाधि-- ठीक प्रयत्न व्वायाम --इन्द्रियों पर संयम बुरी भावनाओं को रोकने तथा द्च्छी मावनाओं के उत्पादनका प्रयत्न उत्पन्न अच्छी भावनाश्ों को कायस रखने का प्रयत्न--ये ठीक प्रयत्न हैं । ठीक स्मुति--काया वेदना चित्त और मन के धर्मों की ठीक स्थितियों --उनके मलिन छ्षण-विध्वंसी झादि सदा स्मरण रखना | ठीक समाधि-- चित्तकी एकाग्रताकों समाधि कहते हैं । ठीक समाधि वह है जिससे मनके विद्षेपों को हटाया जा सके | बुद्धकी शिक्षादओों को श्रत्यन्त संक्षेप में एकपुरानी गाथा में इस तरह कहा गया हे-- सारी बुराइयोंका न करना आर श्रच्छाइयोंका सम्पादन करना अपने चिक्तका संयम करना यह बुद्धकी शिक्षा है |




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