संक्षिप्त पाराशर स्मृति | Sankshipt Parashr Smrati

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Sankshipt Parashr Smrati  by चतुर्वेदी द्वारका प्रसाद शर्मा - Chaturvedi Dwaraka Prasad Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्न्श निफसिफररकिकं पटक % पहिला अ्रष्याय में ध१८ हुठ पुरानी बात है एक दिन दिमालय पहाड़ के दर ब ् ऊपर देवदारु बन में व्यास जी महाराज घपने जज साधम में एकाग्रसन बैठे हुए थे। उस समय उनसे ऋषियों ने पूछा -- ऋषिगण-हे सदाचती के पुत्र | कूपा फर यद्द बतला ये कि कलि- युग में प्राणियों की भलाई किस धर्स्स किस भाचार भीर कैसा शौच रखने से हो सकती है ? प्रब्वलित अग्नि शर सूय्य के समान तेज वाछे वेद तथा स्मृत्तियों के पूरे पण्डित श्री वेद्व्यास जी ने ऋषियों से कट्दा -- श्री वेदव्याल-जब मैं खय॑ घम्मं के तत्व का भली शाँति नहीं / जानता तब मैं धम्म की बात झ्ाप लोगों से कैसे कह




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