भूले - भटके | Bhule - Bhatake

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Bhule - Bhatake by आरिग पूडि - Aarig Pudi

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about आरिग पूडि - Aarig Pudi

Add Infomation AboutAarig Pudi

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
भले-नठके £ रमा फो तरद जला होगा, आज एक राख के हेर के समान धा--मोदा, भारी, पोपला मुख, पान और तम्बाक से रंगे दात, मे हु पर सफेद सफेंद्र चकत्थे, जोड़ों में दर्द--वह यीवन की समाधि लगती थी | समा बुक चुकी थी , परवाने भी ने झाते थे। जान-पहिचान काला कभी मजाक-मखोल कर जाता और कांचता जोड़ों को मलती हुई, पान चब्ाती हुई, कियाडू के सहारे घंटों वेठी रहती । कुछ सोचती, बाद करती । कभी कभी नलिनी को संगीत सिखाती। इस तरह समय काटने का प्रयत्न करती । रात भर दिया जलता । रह-रहकर कांचना को लगता, झँसे किसी ने किवाड़ खटखटाया हो । वह उठकर किवाड खोलने जाती, किसी को नपा ओआहे भरती | आठ-नी बजे के करीव उठती। प्ररानी श्रादत्त সন भी बरबस जारी धी निनी उसकी ध्य লনলী के बारे में वेखनर थी । उम्र ढल गई थीं। बीमारी में वबहुत-कुछ रुपया समाप्त हो चुका जिन दितों कमाई अधिक थी, खर्च भी ज्यादा था। दसियों रिश्तेदार, इधर-उधर के लोग हृसेशा घर किसी-स-क्रिसी बहाने पढ़े रहते । बुजगों की जमीन-जायदाद माँ के जमाने में ही समाप्त हो चुकी थी । अब हालत यह थी कि वह झपना पेणा निभा नहीं पाती ही | आय न के वरावर थीं, इसलिये वह दूध बेचा करती । रोजमर्रा का रच निकल जाता था। जने-तंसे गुजारा कर रही थी । सव कमी म्पये कौ मस्न जरूरत होती तो वह नायदू जी क्न खबर भिजवाती । वहत मिन्नत के वाद परचिदस न्ये মিল আজান । টিন ९ রি রি कर সপ पूर ग्प्य ण वर कर कुण ০ + क न তুল ই ন্ষি লানত जी ने कमो उस पर रुपयों की वर्षा को था । 5 ৯ थ (० १५. > छ नधः না ~ ১ হ্াহলা ভা না সহ तान-चार साल रहा ना | মাহি লন चाय साय: ০ মি. १ पमन লা গা পি লক্ষ न তলা পপ ধা রর वनन ৮০৭৮০, ০ घर म कम भगदा हया त्राः उनका सरसम परर मे आन दिया गया ! পা? दि जनि „, তল্লা বক ০১০০ म्प्य ९ [ক ব্রা সপ পপ 1 (0 नायर জা লাল জলে হতনা | ভল্লা के रुपया पर अर्‌ पम হু তত




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now