भारतीय स्त्रियाँ | Bharatiyan Striyan

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Bharatiyan Striyan by रामचंद्र वर्म्मा - Ramchandra Varma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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টে ४1 ५ 0 1 (8 ৰঃ মলিন 8 |; १ টা ৭ £ (ह ৮৮ ध 8 ५ रा 7 স্‌ ধু हु রী पहला प्रकरण खियों का शांदोलन जिस समय बीसवीं शताब्दी का इतिहास लिखा जायगा, उस समय उसमे कदाचित्‌ सवसे अधिक महत्व का प्रकरण द्वियों के विकास के संबंध का होगा । इस समय सारे संसार में सभी वर्गों की स्लषियों में एक नवीन जीवन का संचार हो रहा है। अमीर और गरीब, पढ़े-लिखे ओर विना पढ़े-लिखे, खभी लोग यह बात समझ रहे है कि श्रब एक ऐसा युग आ रहा है, जिसमें ख्ियों की उपयोगिता बहुत अधिक बढ़ जायगी, और उनसे सभी प्रकार के बहुत-से नण-नणए काम लिए जाया कर गे। इस समय इस संबंध में चारो ओर अच्छा काम हो रहा है, ओर सभी देशों की सियो अपनी वहन की उन्नति करने ओर उनमे शान का प्रसार करने के लिये मिल्लकर काम करना चाहती हैँ | उनके इस प्रयल्ल का उद्देश्य यह है कि इस आन्दोलन को संसार-व्यापी बनाने में सब लोग मिलकर काम




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