जैन, बौध्द और गीता का समाज का समाज दर्शन | Jain Baudhd Aur Geeta Ka Samaj Darshan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
134
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)-११-
तुलनात्मक अध्ययन में मुझे उपाध्याय श्री अमरमुनिजी, पं० सुखछाऊ जी, १५० दलसुख-
भाई मालवणिया आदि के लेखनों से पर्याप्त दा ट मिली है, अतः उनके प्रति और उनके
अतिरिक्त भी जिन ग्रन्थों और ग्रन्थकारों का प्रत्यक्ष या परोक्षरूप में सहयोग मिला
हैं उन सबके प्रति हृदय से आभारो हूँ। अपने गुरुजन डा० सी पी० ब्रह्मो एवं
डा० सदाशिव बनर्जी के प्रति भो आभार प्रकट करना मेरा अपना कर्तव्य है । काशी
विद्यापीठ के दर्शन विभागाध्यक्ष डा० रघुनाथ गिरि का भी मै आभारोी हूँ जिन्होंने
इस ग्रन्थ का प्राककथन लिखने की कृपा की ।
प्राकृत भारती संस्थान के सचिव श्री देवन्द्रराज मेहता एवं श्री विनयसागरजी
के भी हम अत्यन्त अभारी हैं, जिनके सहयोग से यह प्रकाशन सम्भव हो আনা ট।
महावीर प्रंस ने जिस तत्परता और सुन्दरता से यह कार्य सम्पन्न किया है उसके लिए
उनके प्रति आभार व्यक्त करना हमारा वर्तव्य है। अन्त में हम पाए्व॑ंनाथ विद्याश्रम
परिवार के श्री जमनालालजी जैन, डा० हरिहर सिंह, श्री मोहन लाल जी, श्री मंगल
प्रकाश मेहता तथा शोध छात्र श्री रविशंकर मिश्र, श्री अरुण कुमार सिंह, * भिखारी
বাম यादव और श्री विजय कुमार जैन के भी आभारी हैं, जिनसे विविधरूपों में सहा-
यता प्राप्त होती रही ह । अन्तमें पत्नी श्रीमती कमला जैन का भी मैं अत्यन्त आभारी
है, जिसके त्याग एवं सेवा भाव ने मुझे पारिवारिक उलझनों से मुक्त रखकर विद्या की
उपासना का अवसर दिया ।
वाराणसी, ९-१०-८२ सागरमल जेन
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