श्री प्रवचनसार परमागम | Shree Pravachansaar Parmagam

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Shree Pravachansaar Parmagam by नथूराम प्रेमी - Nathuram Premi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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না 2 { ट ध पा 4 स जद +» ८2 भु 4 ৯ = नि. অপলক क क द. कक ই পি সি সক শা সি রশ পর সি [0 वि 9, , | लक १ 1 ५ ८२ कक का 4 उर পির টি নত ~ 4 र पीठिका' [७ |; सो प्राभृतको भूतबलि पुष्पदन्त, दोयमुनिको सुगुरुने पढ़ाया । 4 तास अनुसार, परखण्डके सूत्रफो, ॥ ২৬। बांधिके पुश्तकोर्में माया ॥ ४६ | 5 নে फिर तिसी सूत्रफो, और मुनिदृन्द पढि, रची विस्तार सों तासु टीका । धवरु महाधवल जयधवल आदिक सु- सिद्धातवृ्तान्तपरमान टीका ॥ तिन हि सिद्धातको, नेमिचन्द्रादि- आचाये, अभ्यास करिके पुनीता । रचे गोग्मरसारादि बहु शाख यह प्रथम सिद्धांत-उतपत्ति-गीता | ४७ | प, न हैक ০ এ व পাও १ द. पक दोहा । # जीव कसम संजोगसे, जो सति प्रजाय | # আন্ত सुगुरु विस्तार करि, इहां ख्प दश्साय ॥ ४८ ॥ |; ॥ गुणथानक अरु मार्गना, वरनन कीन्ह ভ্যান | | भविजनके उद्धारको, यह मग सुखद विशार ॥ ४९ ॥ 4 ५ कवित्त छन्द (ইং লা) ४ परयोयार्थिक नय प्रधान कर, यहा कथन कीन्हो गुरुदेव । ४ वाहीको अञुद्द््याथेक, नय कित है यो रसिठेव ॥ 1 तथा अध्यातमीक भाषा करि, यह अशुद्ध निहचे नय भेव । ; पथा गहि विवहारहु किये) यद सब अनेकांतकी ठेव ॥५०॥ | শত ভীত कहर छः 9. 2 রা কট উল শপ




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