भावी नागरिको से | Bhavi Nagriko Se
श्रेणी : कहानियाँ / Stories
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5.9 MB
कुल पष्ठ :
148
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रत्येक नागरिक से श्दे
का भी कुछ लिद्दाज नहीं करते । फिर, जब श्रादमी रेल में सफर करता
है, तो बहुवा शिक्षित श्रौर सम्य कहलाने वाला व्यक्ति पॉव फैला कर
लेट जाता है, श्रौर अपने सामान आदि से इतना स्थान घेर लेता है .
कि दूसरे मुसाफिरों को बैठने की भी जगह नहीं मिलती । वह देखता है
कि उसके कितने ही भाई खड़े हैं, श्र कष्ट पा रहे हैं, पर वह स्वयं
झपनी इच्छा से उनके लिए जगह की व्यवस्था नहीं करता । हमारे
यहाँ कोई त्योहार या विवाह शादी है तो हम श्रपनी धूम-घामशऔर गाजे-
बाजे में यह कब सोचते हैं कि इससे हमारे पड़ोसियों को कोई कष्ट तो
नहीं होता ! प्रायः रात को बारह श्र एक दो बजे तक शोर शुल होता
रहता है, श्रौर बेचारे पड़ोसियों की नींद हराम दो जाती है। कमी
कभी हमारे पड़ोस में कोई आ्रादमी बीमार होता है, उसे वैंसे ही नींद
नहीं आती, फिर हमारे गाजे बाजे से उसको कितना कष्ट होगा,
इसका सहज ही विचार किया जा सकता है। कुछ्ल घरों में खास खास
अवसरों पर 'रतजगा” होता है, अर्थात् औरते रात भर जागती श्रौर गीत
. गाती रहती हैं । चाहे ऐसी वात किसी रीति रस्म के नाम पर की जाय,
या धार्मिक कृत्य की ड़ में; नागरिकता की इष्टि से, और हो, मान-
. बता के विचार से, यह सवथा निन्दनीय और त्याज्य है । हमें सोचना
चाहिए कि रात विश्राम के लिए है । इस लिए कुछ घंटे तो शोर गुल
बन्द रहे | श्रच्छा हो, यदि नागरिक रात के बारह बजे से सवेरे के चार
बजे तक सब कोलाहल बन्द रख। करें, और ऐसी बात के लिए, सरकारी
काचून की प्रतीक्षा न करें, श्रपनी इच्छा से ही इसकी व्यवस्था करें |
इसी प्रकार अन्य बातों का विचार किया जाना चाहिए. ।
राज्य के प्रति तुम्हारे कत्तंव्यों के बारे मे यहाँ ज्यादद लिखना नहीं
है । केवल एक बात की श्र तुम्हारा ध्यान दिलाना झ्रावश्यक है ।
तुम्हें समय-तमय पर किसी विषय पर मत देने का प्रसंग श्रायेगा | तुम्हें
1७.
चाहिए! कि मताधिकार का महत्व समको, और इस श्रधिकार का सोच
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