साहित्यको से | Sahitya ko Se
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
100
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भूदान-यात्रा को आभत्रण : ३ :
मे अपने को साहित्यिक नही मानता । वैसे साहित्यं कं लिए
मेर मन में प्रेम हे, और परमेश्वर ने मुझे हिन्दुस्तान की सब भाषाओं
के और प्राचीन भाषाओं क*साहित्य से पर्चिय प्राप्त करते का अवसर
दिया हूं । मे यह तो नहीं कह सुकता कि मेने गहराई से अध्ययन किया
हैं, परन्तु आत्म-संतोष क लिए मन अपना काम करते-करते कुछ अध्य-
ঘন किया हुं, क्योकि मेरा जीवन कम-रत रहा हे । वेदों से लेकर आज
तक का जो विचार-प्रवाह है, उससे शब्द के खयाल से नहीं, विचारों के
खयाल से में परिचित हूँ। उस विचारधारा में जो अच्छाइयाँ हें,
उनके प्रति मेरा प्रेम है । पश्चिम का साहित्य भी मेने देखा है ।
दो प्रकार का साहित्य
मं साहित्यिक नही हूं । आपके सामनं यह् व्याख्यान भी कायवश
दे रहा हूँ | यह व्याख्यान कवल भहेतुक नहीं है, उसके पीछे हेतु है ।
संभव हु कि साहित्य हेतु-युक्त हो भी सकता हं और नहीं भी हो सकता
हे । भगवद्गीता ने दो प्रकार के साहित्य का जिक्र किया हू । एक
तो वह कि स्फूर्ति हुई और उनके मुख से सृक्तों द्वारा वेद प्रकट हुआ*
और दूसरा वह साहित्य, जो हेतु-युक्त होता हू ।
साहित्यिक दवर्षि हें
मेरा दावा साहित्यिक होने का नही हू, परन्तु मे जो बोलता हूँ,
और करता हूँ, उसमें सदिच्छा और सद्भाव रहता हूं । इसलिए
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