बुनियादी तालीम के दो साल | Buniyadi Talim Ke Do Sal
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
19 MB
कुल पष्ठ :
253
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)[९३] _
नामेल स्कूल के अव्यापकों और निरीक्षकों (सुपरवाइजर) की ट्रेनिंग के लिए वर्धा मे
विद्या्मान्द्र र्रॉनिग इन्स्टीट्यू2 के नाम स एक ऊँचे दर्जे का कलिज खोला गया |
बम्बद सरकार ने उ् बुनियादी स्कूलों के लिए शिक्षक तेयार करने के लिये
जरूगॉव में, और मद्रास सरकार ने तामिलनाड के लिए शिक्षक तेयार करने के लिये
कोयम्बदर में, बेसिक टनिग स्कूल खोले । जैसे-जैसे शिक्षक तैयार होते गये ইইউ
बुनियादी स्कल की संख्या बट्ने ख्गी ओर बहुत से प्रायमरी स्कूलों को भी बुनि-
यदी स्कर बनाया जनि ख्गा | धीरे-धीरे बेसिक स्कल के सिक्षको ओर इतजामी
अफसरों को बुनियादी शिक्षा के नये तरीके में अपनी कुदाख्ता का विश्वास होने
लगा और बुनियादी शिक्षा का काम ठीक ढंग पर आने छगा |
इतना हों चुकने पर बुनियादी शिक्षा के कार्यफत्तीाओं और सगठन-कत्ताओँ
ने यह महसूस किया कि अगर वे छोग अपने व्यावहारिक অলুলনী কী হন্বস্তা करने
और आगे के लिए नीति निर्धारित करमे की गरज से एक जगह मिले तो बहुत
छाभ होगा । इस इरादे से बम्बई सरकार के न्येति १२ अक्तुबर १९३९ मे पूना में
बुनियादी तालीम की पहली कॉफेस का आयोजन किया गया । इस काफ्रेस में देश-
भर के बुनियादी शिक्षा के कार्यकत्ताओं के अतिरनिधि और बहुत से दर्शक, शिक्षा-
शास्त्री तथा बुनियादी शिक्षा में दिलचस्पी रखनेबाले राष्ट्रीय कायकरतों शामिल
हुए । सेन्ट्रछ ऐड्वाइजरी बोरठ की नियुक्त की हुईं खेर कमेटी के सदस्यों को खास
तौर पर इस काफ्रेंस में बुछाया गया |
इसके बाद घटना-चक्र ने पछटा खाया और बुनियादी शिक्षा के श्रयोग को
शुरू करनेवाले कांग्रेसी मंत्रि-संडलो ने स्तीफे दे दिये । लेकिन यह आशंका कि
कांग्रेसी मत्रि-मडलों के चले जाने से बुनियादी शिक्षा को धक्का पहुँचेगा निर्मल
साबित हुई और १९३९-४० के लिए बुनियादी शिक्षा के कार्यक्रम का जो ढोँचा
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बनाया गया था वह बिना किसी जाहिरा रहो-बदछ या कमी-बेशी के पूरा हो गया |
2. 20 कक कल
इसी अर्स में प्रान्तीय शिक्षा पुनसंगठन कमेटियों की रिपोर्ट भी पूरी होकर
प्रकाशित हो गयी | कमेटियों ने बुनियादी शिक्षा-योजना के मूल सिद्धान्तों को লাল
ल्था और कइयो ने तो स्थानाय हालछतों के मुताबिक कुछ छोटे-मोटे सुधार करके
बुनियादो राष्ट्रीय शिक्षा के पाउयक्रम को भो अपना लिया। मब्यप्रान्त और सयुक्तप्रास्त
की रिपोर्थों को तो प्रान्तीय सरकारों ने भौ मान लिया | '
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