भारतीय विचारधारा | Bhartiya Vichardhara
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
152
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)वेद
वेदः विद धातुसे निकला है जिसका कर्थ है जानना। वेद
हमें उस युगके मनुष्योने जो कुछ जाना था उसका विवरण मिलता
है । वेदोका समय लगभग दो हजार सवत् पूवं बताया जाता हं ।
वेद आदिम मनुष्यके ज्ञान और उसकी मानसिक प्रवृत्तियोका दर्पण है।
प्राचीन ग्रथोमें वेदत्रयी' या “नयी विद्या' के उल्लेखके आधारपर पता
चलता है कि प्रारम्भमें तीन ही वेद थे, ऋग्वेद, यजुर्वेद, और सामवेद ।
अथवैवेद शायद वादको सम्मिलित किया गया था । वेद किसी पुस्तकका
नाम न होकर पुरस्तकोके समूहका नाम ह । सारे वेद सहिता (सम = साथ
साथ, हित = रखना) , ब्राह्मण, आरण्यक तथा उपनिषद् भागोमं विभक्त
ह । सहिताए वेदका सत्र भाग है । मनत्रोमें ऋचाओ (पद्यो), यजुपौ
(गद्यके वाक्यो) अथवा सामो (गेय पदो) का सकलन ह । सहिताएं पाच
हे, ऋग्वेद सहिता, तैत्तिरीय या ङृष्ण यजुर्वेद सहिता, वाजसनेयी या शुक्ल
यजुवद सहिता, सामवेद सहिता गौर अथर्ववेद सहिता 1 प्रत्येक सहिता
की अनेक शाखाए पाई जाती हं । प्रत्येक शाखाके मत्र-पाठ ओर क्रममें
अन्तर होता ह ।! ऋर्वेदकी पाच शाखाए प्राप्त ॒ह, शाकल, वाष्कल,
आर्वलायन, कौपित्तकि या शाखायन ओर एेतरेय ।
ऋग्वेद सहिता अत्यन्त प्राचीन और सब सहिताओसे श्रेष्ठ है।
यह सम्पूर्णत पद्यमें है। इसमें १०२८ सूक्त मिलते हे । सूक्त किसी एक
विषयके मत्रोके समूहकों कहते हे । पूरा ऋग्वेद मडलो, अनुवाको, सूक्तो
और मनत्रोमें विभक्त हैं । ऋग्वेदमे दस मडल है। हरेक मडलमें कई
१ बेदोको श्रुति भी कहते हे । श्रुति शब्द श्रु धातुसे निकला है
जिसका श्रयं हुं 'सुना हुआ? | लोगोका विश्वास था कि ईइवरने जगत्
प्रर उसके प्राणी रचे हं तो उसने श्रपने वच्चोके मागं प्रदशं नके लिए
कुछ श्रादेश भी दिए होगें। वेद ईश्वरसे 'सुने हुए? चही आदेश हे ।
भु
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