आचार्य नानेश जीवित हैं | Acharya Shree Nanesh Jeevit Hai

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Acharya Shree Nanesh Jeevit Hai by मुनि ज्ञान - Muni Gyan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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96996 66969 696069699 69699 6969 69606 66476) होते हैं। चाहे वे एक हो या समूह के साथ, शहर मे हो या अरण्य मे उनकी साधना निरन्तर आत्म-शुद्धि के लिए ही प्रवाहित होती रहती है। रु. “स्पष्ठीकरण: “:“ आप श्री के विचारों को सुनकर महायोगी गणेशाचार्य ने संक्षिप्त में किन्तु सारगर्भित उत्तर दिया-देखो भाई अभी साधु जीवन कौ बात जाने दो | पहले गृहस्थ जीवन मे ही रहकर अभ्यास करो | आगार से अनगार बनने का निर्णय आवेश मे करना अच्छा नही है। साधु जीवन कोई साधारण बात नही है. जो एसे ही अपनाया जा सके ] कमी-कभी तो साधु जीवन तलवार की तीक्ष्ण धार पर चलने से मी अधिक कठिन बन जाता हँ} पांच महाव्रतो ১ ॐ रद ডট রর @ स, ॐ ॐ ॐ डे ॐ ॐ ডট ५ के ॐ ॐ ५ का पालन करना, परिषह-जय, इन्द्रिय दमन कोई साधारण बात नही है। ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ 4 ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ $ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ गणेशाचार्यं के निस्पृह किन्तु सटीक विचारो को सुनकर आप श्री बहुत प्रभावित हुए। “गु” शब्द स्त्व॑धकारे “रू” शब्द स्तन्निरोधक । “गु“ शब्द अ कार का प्रतीक है “रू शब्द उसका विरोध करने वाला है। जो प्राणियो के अंधकार को दूर करने वाला है, वही सच्चा गुरु है। आप सच्चे गुरु है । आत्मा का सच्चा बोध आपके दवारा ही प्राप्त होगा। गुरु ही तारणहार होते है । आपके पास न तो किसी प्रकार का आकर्षण है और न शिष्य लोभ ही। सभी ओर से निस्पृह होकर आप सदा आत्म साधना मे लीन रहते हैं। जिसको किसी प्रकार की स्पृहा या लोभ नर्ही हो, वह अन्य भव्य पुरुषो का सही पथ प्रदर्शक बन सकता हे । नि संदेह आपकी साधना सच्ची है । आपके ज्ञान-दीपक के 101... कक कक कक कक क कक ® ® ७ ७ क ७ ॐ ® @& (17)




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