पिता की सीख स्वास्थ्य और खान-पान | Peeta Ki Sikh Swasth & Khanpaan

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Book Image : पिता की सीख स्वास्थ्य और खान-पान  - Peeta Ki Sikh Swasth & Khanpaan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हमारी स्वास्थ्य-रक्षक सेना ९ ॐ नि मि छि नि छो कि कि तिङि जी ङो श সিটির कै कि नि जे সিসি সাজি 1.99... পতি টিটি ही एड़ी डऑी ड़ी डी औ कफ की की फ्री कै पै है डी ५ सिपाही झट उसपर टूट पड़ते हैं और उसे मार-मारकर बाहर निकालनेकी चेष्टामें लग जाते हैं - केशव--ओहो ! ये सिपाही कोन हैं ? पिता--ये हमार खूनके सफेद कण हैं। हमारे खूनमें दो प्रकारक अत्यन्त नन्‍हें-नन्‍्हें जीवाणु पाये जाते हैं---एक छाल और दूसरे सफेद | इनकी शकल पहियोंकी तरह घेरेदार हुआ करती है ।ये हमरे खनके जीवित कण हैं ओर खुनके साथ-साथ सारे शरीरमें चक्कर लगाया करते हैं । इनमेंसे छाल कणोंका काम शरीरके तमाम अड्जोंको भोजन ढो-ढोकर पहुँचाना है ओर सफेद कणोंका काम झरीरकी रक्षा करना है। वहुत छोटे होनेके कारण आँखोंसे ये नहीं दिखायी देते, किंतु अणुवीक्षणयन्त्रकी सहायतासे हम इन्हें जब चाहें देख सकते हैं । जिस समय किसी रोगके कीटाणु हमारे खूनमें पहुँचते हैं तो ये सफेद कण हमारी रक्षाके लिये उनसे बड़ी तत्परताके साथ जा भिड़ते हैं ओर फिर कुछ समयतक उन दोनोंमें एक खासी कुझ्ती होती रहती है । यदि हमरे सफेद कण रोगके कीटाणुओंसे शक्ति ओर संख्याम बलवान्‌ हुए तो वे इन्हें तुरंत नष्ट कर डालते हैं या कम-से- कम इनकी बाढ़को ही रोक रखते हैं, जिससे हमारे शरीरको किसी तरहकी हानि नहीं पहुँचने पाती । वास्तवमें यह भी नहीं मालूम होता कि हमारे शरीरमें किसी रोगके कीटाणुओंने प्रवेश भी किया था या नहीं किंतु यदि हमारे सफेद कण इनसे कमजोर पड़े तो फिर वे स्वयं नष्ट होने लगते हैं ओर रोगके कीटाणु तेजीके साथ बढ़कर सारे शरीरपर अपना अधिकार जमा लेते हैं, जिससे हम बीमार पड़ जते है । केशव--ये बातें सुननेमें बड़ी अद्भुत जान पड़ती हैं। पिता--हाँ, लेकिन हैं ये बिलकुल सच ! हम बहुधा देखते हैं পিসি,




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