व्यावर्तन | Vyavartan

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Vyavartan by प्रतापनारायण श्रीवास्तव - Pratap Narayana Shrivastav

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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४ | ग्प्रव्तन अब बोलियाँ लाखों में बढ़ने लगी | छः लाख पर बोली पूनः षण भर “हम के लिए ठहरी | प्रतिद्वन्दी ने अबने मित्रों से परामर्श किया और फिर. उसने उत्तर दिया | सात लाख सबके मना करने पर भी बोल दिए । २] सह वायु सेवा का अफसर আগ লাল লী নানী ধলা उगा । के साथ अपर थम यूवक ने कुर्सी से सीचे उतरते हुए बोली लगाई-..'आठ लाख ।' अपने भाइयों प्रतिदवन्दी के मित्र उसको घसीटते हुए पंडाल के बाहर ले जाने लगे। युचः बह छूटने के लिये अपने हाथ-पैर पटक रहा था, परूखु वे उसको छोडने ने थे | मिः मिस इल्डिया' की दृष्टि उसका अनुसरण कर रही थी। दृष्टि उस 3 जातै-जाते उसने नौ छाख की बोली छगा ही दी । . लोगों से एक वायु सेना का अधिकारी नौ काल की बोली दोहराने लगा | . समू. प्रथम नव युवक ने तुरन्त ग्यारह लाख की बोली लगाई । आवाज़ सेप इस समय तक प्रतिद्वन्दी के साथी उसको बाहर घसीट छे जाने में सफल 'मिहो गये थे । पर चीनी अ पंशल में सन्नाटा छा गया । नीलाम बोलने वाले ने थोड़ी देर भोली अधिक परिदोहुरा कर ग्यारह लाख पर समाप्त कर ' मिस इन्डिया' के फिरसीट को उसकी उनको बिखेओर बढ़ाते हुए कहा--' बधाई है, यह मुकुट भारत की विजय का चिरद है, गौरवान्वित जो चीन के तावृत पर एक कौल की तरह साबित होगा | बधाई |!” में अपनी ओ यूवक ने आगे बढ़ते हुए कहा--'मैं यह उनके हाथ से प्रहण के রি अमित करजेनको मिला है।” कहते-कहते वह मंच के समीप आ. गयाः और अपलक दृष्टि पने इस पे मिस इण्डिया को मिरखने लगा । की निश्चय “मिस इब्डिया' किरीट ले कर काँपते पगों से आगे बढ़ी र उपस्थित युवक के कन्धे पर हाथ रखते हुए कहा--.. पहले आप र বাঘ উল. * 'इस समय मैं आपको चेक दें सफता 1 | जनं “आपको कोई पहचानता है ?” भेयर ने संदिग्ध दृष्टि से दूदा | ` पए ॥' “दिल्ली ही क्यों, तमाम भारत में 'रमणजाज पूप मित्स के एकमात्र वागमी सर ब्रनमोहन दस को जानने-पहचानने बाड़े बहुत निकल आएंगे । मैं ¡डा था, ऊ ब्रजमोहनदास का बड़ा पुत्र है ।” द सी समय मेयर कम चुकता कीजिए |”




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