अन्तस्तल | Antastal

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Antastal by आचार्य चतुरसेन शास्त्री - Acharya Chatursen Shastri

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about आचार्य चतुरसेन शास्त्री - Acharya Chatursen Shastri

Add Infomation AboutAcharya Chatursen Shastri

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
लजा । >€ हा | हाय ! ना, यह मुझसे न होगा ! तुम बीबीजी ! बड़ी बुरी हो, तुम्ही न जाओ। बाह ! नहीं, तुम मुझे तंग मत करो। मैं तुम्हारे हाथ जोईँ-पैरों पहूँ-देखो हाहा खाऊँ, बस इससे तो हृद हैं? अच्छा तुम्हें क्‍या पड़ी है ? तुम जाओ | ठहरो में भी तुम्हारे साथ चलती हूँ। ना, वहाँ तो नहीं, मला कुछ बात है ? इतनी बड़ी हो गई ! समक्ष नहीं आई । कोई तो है नहीं, अकेले हैं | कोई क्या कहेगा ? तुम्हें कहते छाज भी नहीं आती | हँसती क्यों हो ! देखो--यह हँसी अच्छी नहीं लगती। बस कह दिया है--में रूठ जाऊँगी | एक बार सुनी, दो बारें सुनी | तुम तो हाथ धोकर परछे ही पड़ गई, अच्छा जाओ आज मैं रंसोई नहीं जीमूँगी, मुझे भूख नहीं है, मेरे सिरमें दर्द है- पेट दुखता है। अपनी ही कहे जाती हो, किसीके दुखकी भी खबर है | यह लो हँसी ही हँसी । इतना क्यों हँसती हो । हटो मैं नहीं बोलती-वाह !




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now