ब्रह्मविलास | Brahmavilas
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
318
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)शत्रअशेत्तरी, ११
देखत देव कदेव समै जग राम प्ररोधध्ररैउरदो है।
ताहि विचारि विचक्षन रे मन ! है पल देखु तो देखत की है॥ १३॥
कक्रित्त, शि रीं
सुनो राम चिद्रानंद कहोज सुबुद्धि राजी, कह कदा बेर बेर नेकु
“कीड़ि छाज़ है । केसी लाज़ कहो कहां हमर क्र जानत न, हमें इ-
हाँ इंद्रनिक्रो तिषे सुख राज है॥ अरे मूह विषै सुख रये त्अनन्ती
वेर्, अज हूँ अघाय्ो नहि कामी शिरताज है। मानुष जनम प्राय
आरज सुखेत आय, जो न चेते हंसराय तेरी ही अकाज है॥ १४॥
सनो मेरे इस-एक-कात-हमस-सांची कहे, कहा क्या ল नाकं
फौउ भरुखहू गहतु हे । तुम जो कदत देह मेरी अर नेकं रखा,
कही केस देह तेरी राखी ये रहतु है ॥ जाति नारद पाति
नांद्ठि रूपरेग मांति नाहें, ऐसे झूठ मृष कौउ इंटोहू कहतु है ।
चेतन प्रवीनताई देखी हम यह तेती, जान हो जु जब ही ये
दुखको सदत् है ॥ १५ ॥
सुनो जो सयाने नाहु देखो नेकु टोटा लाह, कीन विवाह,
আছি ऐसे लीजियतु है । दश घोस॑ विपैसुख ताको कहो केतो
दुख, परिक नरकश्ुख कोर 'सीजियत्ु है । केतो काल बीत
गयो अजहू न छोर ख्यो, कहूं तोहि कष्टा भयो ठेस रीक्षियतु
ह । आपु दी विचार देखो कदिवेको कौन 'लेखो, आवत प्रेबो
तति कदय कीजियतु' दै ॥ १६॥
এ ति -न-मेसे कक्षो सान -बहुतेरो कथो, मानेत न तेरो गयो
कहिये । कोत रीक्षि रीक्षि र्थो कौन बश्च बृञ्च रद्यो,
णी ऋते तुमे मासौ कहा कटी चद्िये । एरी सेशे रानी तोसों ,
क्न है-सयानी ससी, ए तौ चापुरी निरानीत् न रोस गहिये ।
{ १) दिन. (२ ) दीन संचोधन।
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