भजन - संग्रह भाग 5 | Bhajan Sangarah Part-5

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Bhajan Sangarah Part-5  by घनश्यामदास जालान - Ghanshyamdas Jalan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्रार्थना डे प्राथना ले धदजनटूड ध्ल््ट्प कल (४ ) राग आसावरी परम गुरु राम-मिलावनहार ) अति उदार, मज्जुल मज़लमय;अभिमत-फल-दातार || टूटी फूटी नाव पड़ी मम भीषण मव-नद घार । जयति जयति जय देव दयानिधि; बेस उतारों पार ॥ (५ ) राग देवी खमाच आयो चरन तकि ।सरन तिहारी । बेगि करों मोहि अभय; बिहारी ! जानि अनेक फिरयों भटकान्यो | अब प्रमु-पद छाड़ों न सुरारी ! ॥ मो सम दीन; न दाता तुम सम | भली मिली यह जोरि हमारी ॥ में हों पतित; पतितपावन तुम । पावन करु; निज बिरद सेभारी ॥|




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