सेवास्तोपोल का घेरा | Svavestopol Kaa Gheraa

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Svavestopol Kaa Gheraa by तालस्ताय - Talstay

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राजनाथ - Rajnath

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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बगुले के पंखों के समान सफेद दस्ताने पहने वहाँ से गुजर रहा है । यहीं भाव तुम बाढ़ के पास तम्बाखु पीते हुए उस मल्लाह के चेहरे पर पुराने भ्रसेम्बली हाल की. बरसाती में स्ट्चर लिए इन्तजार करते उन सिंपाहियों के चेहरे पर श्रौर उस नौजवान लड़की के मुख पर पाओओगे जो अपने गुलाबी फ्राक की भक्रालर को गत्दा होने से बचाने के लिए एक पत्थर से दूसरे पत्थर पर कूद कर नफासत के साथ चलता हुई सड़क को पार कर रही है । हाँ यह सच है कि सेवास्तोपोल में पहली बार झ्राने पर तुम्हें सिराशा ही होगी । तुम व्यर्थ ही लोगों के चेहरों पर ब्रेचनी दृढ़ता या उत्साह मौत के मुह में कूदने या भयानक की भावना ढूंढने प्रयत्न करोगे परन्तु तुम्हें वहाँ इस तरह का कोई भाव हीं दिखे... पड़ेगा । तुम भ्रपने चारों तरफ साधारण व्यक्तियों को अपने साधारण कार्यों में व्यस्त भ्राते जाते देखोगे श्रौर भ्रपने श्राप को इस बात के लिए लताड़ने लगोगे कि व्यर्थ ही इतने अधिक उत्साहित हो रहे थे । और तुम्हें सेवास्तोपोल की रक्षा करने वालों के उस चित्र की पुरणंता के विषय में सन्दैह होने लगेगा जिसे तुमने उत्तरी मोर्चे पर सुनी हुई कहानियों हृश्यों श्रौर उस भयानक दोरगुल को देख सुनकर भ्रपने दिमाग मैं खींच रखा था । मगर इससे पहले कि ऐसा सन्देह तुम्हारे दिमाग में घर करे तुम उन किलों के पास जाश्रो सेवास्तोपोल के रक्षकों को उन स्थानों पर जाकर देखो जहाँ वे इसकी रक्षा कर रहे हैं घौर इससे भी बेहतर यह होगा कि तुम सड़क के उस पार उस इमारत मैं जाश्रो जो किसी समय झसेम्बली हाल थी--श्रौर जहाँ सिपाही स्टेचर लिए प्रतीक्षा में खड़े हैं। वहाँ वुस सेवास्वोपोल की रक्षा करने बालों को देखोगे वहाँ तुम भया- नक झौर दुखद भव्य श्र मनोरंजक ऐसे हृश्य देखोगे जो श्राइचर्यजनक साथ ही महान भी होंगे ।




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