तरुण के स्वप्न | Tarun Ke Swapn
श्रेणी : कहानियाँ / Stories
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
174
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
सुभाष चन्द्र बसु - Subhash Chandra Basu
No Information available about सुभाष चन्द्र बसु - Subhash Chandra Basu
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)न्नी जातक एक चात
इतिहासमें नामोल्छेखके लिधा ठसफा विद्शन कहीं नहीं
रहता ।
भारतकी कई बार ख्त्यु हई आर उसने फिर फिर
नवजीवन रास किया, इलका कारण यही है कि भारतके
अष्तित्वकी सार्थकता थी और आज भी है। भारतका
एक सन्देश है जो उसे विश्व परिषदको खुनाना है,
भारतकी शिक्षा ( ०४४7७ ) में ऐसा कुछ है. जो विश्व-
सानवके लिये अत्यन्त प्रयोजनीय है, जिसका अ्रहण किये
चिना विश्व-परिषदका उत्कषं नहीं दहो एकता! सिर्फ
यही नहीं ; विन्ञान, कका, साहित्य, व्यङ्खाय, वाणिज्य,
सभी क्षेत्रोंमें हमारा राष्टु दुनियाको कुछ देगा, कुछ
सिखायगा | इसी लिये भारतीय मनीदियोंने अन्धकारपूर्ण
थुगोमें भी स्थिर भावसे भारतका शाघ्र दीप जलाये
रखा था। हम उन्हींकी सन्तान हैं,दम क्या अपना राष्ट्रीय
कतंव्य पूरा किये बिना ही मर ज्ञायगें ?
मनुष्य देह पश्च भृतोंमें मि् जानेपर भी भात्मा कभी
नहीं मरती, इसी प्रकार राष्टुकी ख्त्यु होनेपर भी उसकी
शिक्ला-दीक्षा-सस्यता रूपी यात्मा अमर है । राष्टुकी
सजन शक्ति जव टु हो जाय तब समभना होगा कि राष्ट्र
मोतके घाद भा लगा है। आहार, निद्रा, सन््तानोत्पादन
१५
User Reviews
No Reviews | Add Yours...