जीव - अजीव तत्त्व | Jeev Ajeev Tattav

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Jeev Ajeev Tattav by कन्हैयालाल - Kanhaiyalal

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about कन्हैयालाल - Kanhaiyalal

Add Infomation AboutKanhaiyalal

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
विज्ञान का विवेचन. ७ बह एक क्षेत्रीय व ससीम ही होगा, साथ ही वह श्रम वे संपत्ति- साध्य तथा जटिलेता लिए हुए होगा; जबकि मभोनंसिके शक्तियों की उपलब्धियां भ्रसीम लाभदायक, उपयोगिता लिए, सरल व कम श्रमसाध्य होती हैं, भौतिक संपत्ति की तो वहाँ अपैक्षा ही नहीं है। उदाहरण के लिए समाचार की दूर संचंरण व्यवस्था को ही लें । भौतिक विज्ञान में इसके लिए टेलीग्राम, टेलीफोन, टेली- विजन, ट्रांजिस्टर भ्रादि यंत्र हैं । ये यंत्र जटिल, श्रेम व संपत्ति साध्य तो हैं ही, साथ ही इनकी गति श्रपेक्षाकृत धीमी व प्रसारण सीमित है । इनकी गति एक सेकिण्ड में केवल एक लाख छियासी हजार दो सौ मील है तथा सागर-जल की झतल गहराई में इनकी पहुँच नहीं है, परन्तु इनका स्थान लेने वाली मानसिक शक्ति ठेलीपेथी को ही लीजिये । इसमें समाचार संचरणा के लिये त किसी यंत्र की ध्राव- एयकता है, न किसी श्रम-संपत्ति की | गति तो इतनी श्रसीम है कि ब्रह्माण्ड के किसी भी भाग में, फिर वह चाहे कितना ही दूर क्यों न हो, समाचार भेजने में सेकिण्ड का पचासवां भाग भी नहीं लगता है। सागर की भ्रतल गहराइयों, गिरि की गहन गरुफाश्रों, इस्पात की मोटी परतों श्रादि श्रगम्य स्थलों पर भी इसकी गति निर्वाघ है। यह तो मानसिक शक्ति की असीमता का आ्राधुनिक युग में प्रयुक्त होने वाला एक उदाहरण है । मन ऐसी श्रसंख्य शक्तियों का भ्रागार है । इससे भी श्रनंत गुनी अधिक शोर विलक्षण शक्तियों व उपलब्धियों का धनी ग्रात्मा है । श्रत: यह स्वाभाविक ही है कि जो विज्ञ पुरुष मामसिक व श्राध्या- त्मिक शक्तियों की उपलब्धियों से परिचित है वह भौतिक शक्तियों की उपलब्धियों के लिए प्रयास न कर उनकी उपेक्षा करे । यही कारण है कि प्राचीन ऋषि-महपियों ने भौतिक वस्तुझ्रों, इसकी शक्तियों एवं साधनों तथा इन सबके ज्ञान पर केवल इतना ही ध्यान दिया जितना जीवन में भ्रावश्यक था । उन्होंने इनके विस्तारपूर्वक वर्णन পদ ও




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now