खड़ी बोली कविता में विरह वर्णन | Khadi Boli Kavita Mein Virah Varnan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
18 MB
कुल पष्ठ :
542
श्रेणी :
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No Information available about डॉ. रामप्रसाद मिश्र - Dr. Ramprasad Mishra
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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ने विच्छिन्न नहीं है । नन्टरन करा नास्वीय विविन उने क्रिय नत के अंतर्यत रखेगा ?
नूर के कृप्ण का ब्रजप्नेस वह किस न्स के अंतर्गत ज्मा ? ह्रौ क श्रीदामा
प्रभूति कृप्णु-सखाओं का विद मित्र-विरह वहाँ क्या स्यान प्राप्तं करेन ?
हिंदी का महान भक्त्ति-काव्य दो रूपों नें प्राप्त होती हैं। उसका एक्त रूप
संस्तार की क्षशभंगुरता पर दुःख प्रकट करते हुये निद्वति क्ञा ल्वन केन्ता है नुक्ति
की ओर ललक भरी हृष्ठि के देखता हैं । किठु यह ক बुरे तथा परिमाण दोनों
हृष्टियों से महत्व पुन ग नही है। हमारे भक्कि काव्य का ~ माग शष्ठ एवं महत्वपूर्ण ग
प्टियों मे महत्वपुर्ण नहीं है। हमारे भक्ति काव्य का प्राय: सादा श्वष्ठ एवं महत्वपुर
कलेवर ई ~. प्रेम क्षी सक्रिय भावता ने अनप्रारित है, वेदना का रस पीने
कलेवर ईदवर के प्रति प्रेम की सक्तिय भावना से अनप्राशित हैं, वंदना का रस पान
নি >~ হি गोपिकाओं ~
निवृत्ति-मूनक्त नह्! नूर का गापिक्ता्रा
संदर्णो एवं घात-प्रतिघातों के रस-पान का
भारतीय नः साधना अ साहित्यं ---~ साहित्य ~~ == विन्षताय = पष्ठ হি তিনে
१. भारतोय साधना आर सूर-साहित्य; स्रझसाहित्य का विनपषताय, पृष्ठ ৯২1
२. नादुयशास्त्र (६)
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