नैषध चरित चर्चा | Naishadh Charit Charcha

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Book Image : नैषध चरित चर्चा  - Naishadh Charit Charcha

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ओीद्प नाम के तीन पुरुष १६ शतक का चहुत कुछ घृत्तांत ज्ञात द्ोता है | दो नखांग ने भारत- घष में जो कुछ देखा, और जिन-जिन হাজী ক্জী হাজদানির্থঁ अथवा राज्यों में वह गया, उन सबका वरस्पेन उसने अपने प्रंथ में किया है | इसी प्रैंथ भें हे नखांग मे कान्यकुंड्जाधिपति ओदप का भी वर्णन किया है। इस राजाने ६०६ से द्ट८ इंसबी सक राज्य किया | कई विद्वानों ने बड़ी योग्यत्ता से इस समय का निर्णय छिया है 1 मिस्टर रमेशचंद्र दत्त, डॉक्टर दाल, मिस्टर विंसेंट श्मिथ सभी इससे सदमत हैं। অহ वदी श्रीदं है| जिसके आश्षय में प्रसिद्ध कादंचरीकार बाण पंडित था। बाण ने अपने हपे-चरित-नामक गय्यात्मक प्रंथ में इस राजा का वरित वर्णन किया है, और अपना राजाभितत होना भी श्ताया है। नैपध-चरित के कर्ता ने फान्यकुब्ज-नरेश द्वारा सम्मानित दोना स्पष्ट लिखा है। अतः यह फाठ्य इस श्रीद्ृर्प की कृति नहीं दो सकती ! कान्यकुठज का राजा कान्यकुब्ज के राजा से किस प्रकार आहत दोगा ? फिर एक समय एक ही देश में दो राजे किस प्रकार रद्द सकेंगे ? ऊपर एम लिख आए है कि 'रक्नावली', 'प्रियदर्शिका' और ागानंदः सी श्रीदर्ष के नाम से प्रसिद्ध हैं। इन पुस्तकों की भस्‍स्तावना में लिखा है कि राजा श्रीद्ष ही ने इनकी रचना की है | अब देखता चाहिए कि यहाँ किस श्रीद्रष से अभिप्राय है ये दोनो नाटक कारमीराधिपति श्रीदृष-क्रत नहीं हो सकतेः क्‍योंकि राजसरंगिणी में इनका कहीं नाम नहीं। जब छोटे-छोटे




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