भूख | Bhookh
श्रेणी : उपन्यास / Upnyas-Novel
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
266
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)महाताव १४
पा एक लम्बी लकीर और उसके नीचे साढ़े तीन हाथ শী जम्दी मष्ट,
उसी गोले के अन्दर समाई हुए ।
হম छोटे गोले को एक वहुन बडे गोले से मि लाने के जिए गले से बावा
दम के पुल का काम लिया गया हे । मानूम पडता है, ননী से गला मन-
मुताबिक कट न सका, इसलिए वाप के ब्वेंड से फिनिशिंग टच दिया गया
है। बडे गोले मे से दो मुसललम हाथ बौर दो पर निकालने में हिसि
मशक्कत से काम किया गया है, उसकी गवाही कैंची और कटाई का रख
देनी है 1 पैरो के नोचे ज़मीन है, और उसपर अग्रेजी अक्षरों में जिसा
हुआ है-- दिस इज दि कानाई मास्टर-रट््टूबौ- ।''
पाच् देखते ही हस्त पडा--“लडके भी कंसे शतान होने है 1,
मन वहूल गया । शायद मौर कु टौ, यह् देखने के लिए दराल जा
चाहर खीची \ अग्रेखी किताव का फटा हुआ एक वर्क पाचू ने देखा--
लेसन नम्बर ट्वण्टीफोर, हम्प्टी-डम्प्टी
कितावो से कुश्ती लड़ते हैं |
पाचू ने उसी हेडमास्टराना तिनतिनाहट, और बदले हुए तेवरो से
पन्ने के दूसरी तरफ देखा | कोने पर दो जुदा-जुदा लिखावटो मे कुछ लिखा
हुमा था। पहले दगला में लिखा था 'खुट्टी', और उसके नीचे अग्रेज्ी
मे दस्तखती लिखावट से डी ° मार० । दूसरी लिखावट, उमके ठीक नीचे
ही, अग्रेजी में 'प्राटेड', वकलम खुद तीन हरूफ, जी० के० सी० । नीचे ठाठ
से लकोर मारकर तारीख तक लिख दी गई थी--२७ १-४३ ।
“जी० के० सी०, ये कौन विगडेदिल हैं ? ” पाचू अपने शिष्यो मे छ॒ट्टी
शट करनेवाले जी० के० सी० महाशय को पहचानने की कोशिश करने
लगा--“गोराल, अच्छा !” अबना वो, काकी नम्बर आठ का भतोजा
पढोस के रिश्ते से रिटायर्ड सब्र-पोस्टमास्टर रामतनु बाबू पाच् के
दाका हुए। रामतनु बाबू की किस्मत को शुरू से ही जोरुओं का नाएता
बरने की आदत थी, लेकिन ये काशी नम्बर भाठ, मालूम पडता है, काका
ऐे ही पचाकर मानेगी । इस अकाल में थी अमर रहने की चुनौत्ती देती
पढते क्या हैं, कम्बस्त
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