आज़ादी के रोड़े | Ajadi Ke Rode
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
190
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
हजारीप्रसाद द्विवेदी (19 अगस्त 1907 - 19 मई 1979) हिन्दी निबन्धकार, आलोचक और उपन्यासकार थे। आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी का जन्म श्रावण शुक्ल एकादशी संवत् 1964 तदनुसार 19 अगस्त 1907 ई० को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के 'आरत दुबे का छपरा', ओझवलिया नामक गाँव में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री अनमोल द्विवेदी और माता का नाम श्रीमती ज्योतिष्मती था। इनका परिवार ज्योतिष विद्या के लिए प्रसिद्ध था। इनके पिता पं॰ अनमोल द्विवेदी संस्कृत के प्रकांड पंडित थे। द्विवेदी जी के बचपन का नाम वैद्यनाथ द्विवेदी था।
द्विवेदी जी की प्रारंभिक शिक्षा गाँव के स्कूल में ही हुई। उन्होंने 1920 में वसरियापुर के मिडिल स्कूल स
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)३ प्रर जीवन-शक्ति
आसाम तक ओर दिमाख्यसे उकर कुमारी अन्तरीप तक दिन्दुभेकि धामिक
आदशौमे बहुत-सी समानतायं पायी नाती है । यदी दिन्दुओकी धामिक राष्ट्रीयता
([971005 15807511977 ) है जो घढ़े-बढ़े प्रचण्ड उल्कापातों और
तूफ़ानोंके बावजुद भी अक्षुण्ण है।
राजनीतिक राष्ट्रीयताका जामा तो हिन्दुस्तान अब पहन रहा है भौर इसे
एक शक्तिशाली राजनीतिक राष्ट्र बनानेकी भवर चेशयें की जा रही हैं ;
जिसके मार्गमें सक्कीर्ण साम्प्रदायिकता पहाड़ बनकर खड़ी है। सांस्कृतिक
एकताके होते इए भी हिन्दुस्तान सदेव टुकढ़ोंमें बटा रहा और यही कारण
है कि विदेशी भाक्रमणकारियोंके मार्गगो कभी सगठित होकर रोका नहीं
गया। अगर ऐस्र्यलोलप आक्रमणकारियोंका मुकाबला इस देशके लोगोंने
संगठित होकर किया होता तो इस देशकी तवारीख कुछ दूसरे ही ढंगसे
लिखी गई होती । लेकिन हिन्दुओंमें जहां विदेशी हमलेका संघबद्ध होकर
विरोध करनेका दुःखद अभाव रहा है, वहीं उनकी एक अपनी विशेषता भी
रही है--उपेक्षा | विदेशियोने भौतिक भारत पर शासन किया, अपनी राज-
सत्ता कायम की ; मगर आध्यात्मिक भारतवर्ष पर शासन करनेमें वे कभी भी
सफल नहीं हुए। विदेशियोंके प्रति भारतवासियोंकी उपेक्षापूर्ण दढताने सदा
उनका साथ दिया । विजेता आये और तलवारके बल पर शासन करने रे ।
व न्युनाधिके समय तक भारतवासियों पर राजनीतिक शासन करते रहे।
परन्तु यह एक अचरजकी बात है कि उनका शासन कभी सतहके नीचे तक
नहीं पहुचा, भारतीयोंकी पुर्ता सस्कृतिमें वे कभी कोई भौलिक परिवितेन
नहीं कर सके । अकबर जेसे एक-दो शासकोंने हिन्दुस्तानकी सभ्यता एव
सछ््तिमें बुनियादी तबदीलो करनेकी कोशिश भी की, मगर वे कामयाब नहों
हुए। यूनानी जाये और लूट तथा कत्लआम करके वापस चले गये। हूण
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