भाषा विज्ञान | Bhasha Vigyan

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Bhasha Vigyan by श्यामसुंदर दास - Shyam Sundar Das

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भाषा-विज्ञान ८, सिलम्मलनल ईद नल पहला प्रकरण विपय-प्रवेश भाषा-विज्ञान उस शाख्र को कहते हैं जिसमें भापामात्र के भिन्न मिन्न अंगों और स्वरूपों का विवेचन तथा निरूपण किया...जाता है.। मनुष्य किस प्रकार बोलता है, उसकी बोली का किस प्रकार विकास होता है, उसकी वोली और भाषा में कब, किस प्रकार और कैसे कैसे परिवतन होते हैं, किसी भाषा में दूसरी भाषाओं के शब्द आदि किन किन नियमों के अधीन होकर मिलते हैं, कैसे तथा क्यों समय पाकर किसी भापा का रूप और का और हो जाता है तथा कैसे एक भाषा परिवर्तित या विकसित होकर पूर्णतया स्वतंत्र एक दूसरी मापा का रूप धारण कर लेती है--इन विपयों तथा इनसे संबंध रखनेवाले और सब उप-विपयों का भापषा- विज्ञान में समावेश होता है । इससें शब्दों की उत्पत्ति, रूप-विकास तथा वाक्यों की बनावट आदि सभी पर विचार किया जाता है । सारांश यह कि भापा-विज्ञान की सहायता से हम किसी भापा का वैज्ञानिक दृष्टि से विवेचन, अध्ययन और अजुशीलन करना सीखते हैं, और जब शास्र की परिभाषा




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