आचार्य श्री नानेश जीवित है | Achariya Shri Nanesh Jivat Hai
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
34 MB
कुल पष्ठ :
525
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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होते है! चाहे वे एक हों या समूह के साथ, शहर मे हो या अरण्य मे उनकी
साधना निरन्तर आत्म-शुद्धि के लिए ही प्रवाहित होती रहती है।
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आप श्री के विचारों को सुनकर महायोगी गणेशाचार्य ने संक्षिप्त में
किन्तु सारगर्भित उत्तर दिया-देखो भाई अभी साधु जीवन कौ बात जाने दो |
पहले गृहस्थ जीवन में ही रहकर अभ्यास करो } आगार से अनगार बनने का
निर्णय आवेश में करना अच्छा नहीं है। साधु जीवन कोई साधारण बात
नहीं है, जो ऐसे ही अपनाया जा सके | कभी-कभी तो साघु जीवन तलवार
की तीक्ष्ण धार पर चलने से भी अधिक कठिन बन जाता हैं। पांच महाव्रतों
का पालन करना, परिषह-जय, इन्द्रिय दमन कोई साधारण बात नहीं है।
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गणेशाचार्य के निस्पृह किन्तु सटीक विचारों को सुनकर आप श्री बहुत
प्रमावित्त हुए । “गु” शब्द स््वंघकारे “रू“ शब्द स्तन्निरोधक । “गु” शब्द আঁ
कार का प्रतीक है “रू” शब्द उसका विरोध करने वाला है! जो प्राणियों के
अंधकार को दूर करने वाला है, वही सच्चा गुरु है। आप सच्चे गुरु हैं। आत्मा
का सच्चा बोध आपके द्वारा ही प्राप्त होगा। गुरु ही तारणहार होते हैं। आपके
पास न तो किसी प्रकार का आकर्षण है और न शिष्य लोभ ही। सभी ओर
से निस्पृह होकर आप सदा आत्म साधना में लीन रहते है । जिसको किसी
प्रकार की स्पृहा या लोभ नहीं हो, वह अन्य भव्य पुरुषों का सही पथ प्रदर्शक
बन सकेता हे} निःसंदेह आपकी साधना सच्ची है 1 आपके ज्ञान-दीपक के
आनन
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