भारतीय समाज - शास्त्र | Bhartiya Samaj Shastra
लेखक :
गंगाप्रसाद उपाध्याय - Gangaprasad Upadhyaya,
पं. धर्मदेव विद्यावाचस्पति - Pt. Dharmdev Vidyavachaspati
पं. धर्मदेव विद्यावाचस्पति - Pt. Dharmdev Vidyavachaspati
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
268
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
गंगाप्रसाद उपाध्याय - Gangaprasad Upadhyaya
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पं. धर्मदेव विद्यावाचस्पति - Pt. Dharmdev Vidyavachaspati
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)গর হিম ইজ,
भारतीय समाज
| प्रथम अध्याय
समाज शास्त्र के भिन्न २ लक्षण
व्यक्ति और समाज का सम्पमन्ध
, यूरोप तथा अमेरिका के हव॑<स्पेन्सर गिडिज्स वेंजमिन किंठ आस्स्व!
येसो इत्यादि विद्वानों ने समाजा ( 5062108४ > के विपय पर
विकासवाद की दृष्टि से कई मन्थ लिखि ह किन्तु जहा्तक खनने मलस
है इस समय तक भारतीय दृष्टि से समाजशाख्तर पर कोई उत्तम अन्य
प्रकाशित नहीं हुआ । इस निवन्ध का उद्देश्य उपयुक्त बड़ी भारी कमी
को दूर करना ओर श्ाखोक्त वर्णाश्रम व्यवस्था पर जो भारतीय समाज
शाख की आधार शिला कहीं जा सकती है, विस्तार से तुलूवात्मक विचार
करना है । यह चिपय्र बहुत ही विस्तृत है इसके कई पहलुओं पर थोड़ा
बहुत विचार भी भारतीय विद्वानों दवारा किया गया है तो भी विषय के
सव भङ्गा पर संक्षिप्त रीति से बिचार करते इण शास्त्रीय चणेन्यवस्था
के शौर शो सर्वसाधारण के सामने खाना अत्यन्त आव्ययक मलम
होंदा है । इस निवन्ध को आरम्भ करने से पहले 50091089 वा
समानद्याख के मिन्न २ असिद्ध छेखकों द्वारा किय्रे हुए मुख्य २ लक्षणों
क्म उ्ेख कर देना अजुचित न होगा ।* . * * “ ৮
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