चीन में क्या देखा | Chin Me Kya Dekha
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
254
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सुनी तो तैयार हो गये। भाषा की दिक्कत चीन में नहीं होती, क्योंकि हिन्दी
चा अंगूजी क दूभाधियं आसानी सं मिल जतं है (मुकं कंवल अंगूजी के
दुभाषियां से काम लेना पड़ा)। चोरियन केरल के रहनेवाले हैं, पर' उत्तर
आरत में रहते-रहते हिन्दी भी जानते हैः! देखकर खयाल ` आया कि कदी |
मनै उनको देखा है। अन्त मः यह मालूम होत दर नहीं लगी छि বালান
में श्री आर्यनायकमा के यहां हमारी मुलाकात हुई थी। हम पश्चिम पर्वत का
एंक पुराना विहार दंखने निकले, जां पांचयीं सदी सं पहले बना था। रास्ता
दूर तकं मेदान का था, फिर पहाड़ জা गया--हरा-भरा पहाड़। बिहार में
तीस भिक्षु रहते थे। कलापूर्ण हौनं कं साथ विहार कमी स्वच्छता भी देखने:
लायक थी। पूछने पर पता लगा कि भिक्षु कप जीविका उपासका कमः
दाक्षिणा ओर स्वयं अपना कृषि या बगीचे का काम है। पर्वत कं पारव मैः.
बहुत रम्य स्थान को चुना गया था। भारत हो या अफगानिस्तान, सिक्यांग
हो. या जापान, कोरिया :हो या चीन, सभी जगह बाद्ध बिहार सबसे सुन्दर
` स्थान मेः बनाये गये है! यह वाद्धनभिक्षुओं के कला-प्रेम को वतलाता है।
विहार, के नीचे की और विशाल क्म्. भ्गैल है, जां उसकं सान्दर्य कोः
दुगना कर देती है। लाटते वक्त पहाड़ से निकलकर ইল गांव से गुजर रहे
-थै। गांव को.चेरियन महाशय ने देखने की इच्छा प्रकट क! . कारः
` सड़क पर खड़ी हो गंयी। हम अपने दुभाषिया आर पथ-प्रदर्शक के साथ
थोड़ा नीचः पास ही. एक घर में पहुंचे। उस वक्त वहां खाना तार हो
रहा था। देखा, खाने मै चावल ` है, भीतर चीनी डाली रोटी भी भाप पर
वनी मोजूद हे आर साथ ही मुर्गी. या मछली का मांस। यहां का किसान
क्या खाता है, इसका परिचय +मला। चौरियन सन्तुष्ट होकर बोलने लगे;
“गरीबी आर अन्न का अभाव यहां से दूर हो गया: है।”' इधर के गांव
मेँ खेती भेंसों के बल पर होती.दै। भसे भी दष्टपुष्ट थं! - गांव कौ
. आदयो की देह पर गनन््दे कपड़ों जरूर देखने मेँ आये, पर॑ नंगी हाडिडयां':
कहीं देखन मः नहीं आयीं । :.
आने-जाने मेः चालीस मील क यात्रा हु्ई।: शाम को हम पास. के बाग
में, भी गये। चीनी कला प्रकृति का,बंहुत- नजदीक से अनुकरण कंरती है।
इसीलिए बाज वक्त भूम॑ होता: हे कि कोई चींज कृत्रिम हो या. प्राकृत्तिका
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