प्राकृत व्याकरण भाग 2 | Prakrit Vyakaran Bhag 2

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Prakrit Vyakaran Bhag 2 by उपाध्याय अमर मुनि - Upadhyay Amar Muni

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about उपाध्याय अमर मुनि - Upadhyay Amar Muni

Add Infomation AboutUpadhyay Amar Muni

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
{ ९५ | १०१) श्रीमान्‌ गाडमसलजी तेजमलज्ञो सुगणा, मेलापुर १०१) श्रीमान शभुमऊछजी जवरचन्दजी मेहता, माटु गा वम्बई १०१) श्रोमान्‌ प्राण जीवनजो राजपालज़ी बोहरा।; माटु गा वम्बई १०१) श्रीमान्‌ नयमलजो शुमकरणजो खीवसग, जभराचती १०१) श्रीमान्‌ नदलालजों जोतमलजी, बीजापुर वाला १००) श्रीमान्‌ हस्तीमलजी रतनलालजी बोहरा; रतलाम ८८) श्रीमान्‌ चपालालजो चेतनप्रकाणजी, डूगर वाल बेंगलोर ५५) श्रीमान्‌ चपाछालजी गनपतराजजो ढावरिया, सित्रन्दरावाद ५५) श्री गुप्त मेंट, ५५) श्रीमान चदनमलजी बोहरा की धर्म-पत्नी श्रीमती ज्ानवाई-गवि-पी की ठ- जिला सिकदराबाद ५५) श्रोमान्‌ के प्तालालजो सिघवी, गांव-हिमायत नगर, जिला सिकन्दराबाद ५५) श्रीपानू धर्मेचन्दजी कुदनमलजी गाव घोरापुर, ५५) श्रोमान कन्हैयालालजी चपालालजी गांव शोरापुर, ५५) श्रीमान्‌ मोहनलालजी अमृतलालजी बोहरा, गांव शोरापुरा ५५) श्रीमान्‌ नेमिचदजी पारसमणजोी, रायचूर, _ ইই৫০) হুল মীনা प्रतियाँ ९ प्रतियाँ ९ प्रतियाँ ९ प्रतियाँ ९ प्रतियाँ ९ प्रतियाँ ९ प्रतियाँ ८ प्रतियाँ ५ प्रतियाँ ५ प्रतियाँ ५ प्रतियाँ ५ प्रतियाँ ५ प्रतियाँ ५ प्रतियाँ ५ प्रतियाँ ५ नोटः--अग्रिम ग्राहकों को ११) एपया प्रति पुस्तक फे हिसाव से मेंट- कर्त्ताओं की सेवा में प्रतियाँ प्रस्तुत की जायगी | निवेदक-प्रकाशक




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now