विवाहित प्रेम | Vivahit Prem

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Vivahit Prem by श्री सन्तराम - Shri Santram

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भूमिका नी का यल्न किया है । ऐसे लोग निस्सन्देह उनकी पुस्तकका हृदयसे स्वागत वीरिंगे । आशा की जाती है कि यह पुस्तक उन्हें असंख्य पति-पत्ियोंके खुखको विवाहके आरस्मिक कालमें ही न कर देनेवाली अनेक भूलोंसे बचायगी । यदि यह पुस्तक इससे अधिक कुछ भी न कर सकी तो. भी वास्तवमें यह एक बहुमूल्य चीज़ होगी । परन्तु इससे भी अधिक महरवकी बात इस सम्बन्धमें एक और है। वह है बच्च पर पड़नेवाला प्रभाव । सभी सभ्य बच्चोंके प्रति उत्तरदायित्वका भाव बढ़ रहा है। उनके शारीरिक और मानसिक शिक्षणकी समस्याएँ लोगोंका ध्यान दिन प्रति दिन अधिक आछष्ट करती जा रही हैं। सुप्रजा- ज़नन-शास्त्री शिक्षा -शास्त्री वेद्य राजनीतिज्ञ परोपकारी वरन साधारण माता-पिता बालकके विकाससे सम्बन्ध रखनेवाले छोटे और बडे विधयॉपर वाद-विवाद और चिन्तन करते हैं। यह बात सर्वेसम्मत है कि बालठकके जीवनके पहले सात व बड़े ही संकटके होते हैं । इन्हीं वर्षों में उसके अच्छे या बुरे भावी व्यक्तित्वकी नींव रखी जाती है। इन्हीं वर्षोमें बच्च की कोमल प्रकृति- पर सबसे अधिक अमिट और गहरे संस्कार आ जमते हैं जो बहुधा एक या दूसरी प्रछृति-सिद्ध प्रवणताकों रोकते या बढ़ा देते और उसे बहुधा आयुभरके लिये स्थिर कर देते हैं । फलत यही सबसे बढ़कर समय है जिसमें माता-पिता बालक के जीवनके भीतरी इतिहासमें सबसे अधिक महर्वपूर्ण काम




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