रामायण | Ramayan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
169.28 MB
कुल पष्ठ :
920
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about पं ज्वालाप्रसाद जी मिश्र - Pt. Jwalaprasad Jee Mishra
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भूमिका. १३ पापान्यापि च यः कुयांदहन्यहनि मानवः ॥। पठत्येकमपि छोक॑ स पापात्परिमुच्यत ॥ 3३ ॥ अश्वमेघसदखस्य वाजपेयशतरय च ॥ लूभत श्वणगादिवा ्यायस्तकर्य मानव के देमभारं कुरुतेत्रे अस्ते भानी प्रयच्छाति ॥ यश्च रामायणं लोके शरणोति सम एवं सः ॥ १८ ॥। सम्यक श्रद्धासमायुक्तो छभते राचवीं कथाम ॥ स्वेपापाठ्यमुध्येत विष्णुलोकं स गच्छति ॥ १६ ॥ अर्थात- पवेकाठमें महर्षि वाल्मीकिजीने इस महाकाव्यकों बनायादे यह घुमेका उपन्न करनेवाठा आयु बढानेवालठा यश देनेवाला और राजाओंकों जयदायकहे जो मनुष्य रामायण श्रवण करतेहें वह प्रापस छूटजातेहें । पुत्र और धनके चाहनेवाठे मनुष्य इसको श्रवणकर पुत्र और घन पातिहें । राजा राम चंदजीके राज्यकी कथा श्रवण करनेसे पृथ्वीकों जय विजय और शत्रुको क्षय कर सकतेहें । अछ्लिएकर्मो रामचंद्रजीकी कथा भवन करे तो छोकमें दीघार्य प्राप्त करताहे । जो मनुष्य कोघकों जीतकर भ्रद्धासे वाल्मीकिछत रामायण सुने वह कठिन संकटोंसे उत्तीण होजाय । जो रामायण श्रवण करतेहें वह श्रीरा- मचंद्रजीसे मनोवांछित फूठ पाते हैं । रामायणके श्रवणसे राजा पृथ्वीजय और परदेशी मंगठ ठाभ करतेहें । रजस्वठा ख्री इसके अवण करनेसे पुत्र पसव करती है। रामायणकी पूजा या पाठ करनेसे मनुष्य सब पापोसि छूटकर बढ़ी आयु पाते हैं। जो समस्त रामायण पाठ या श्रवण करते हैं मगवाब सनातन रामचृंद्र उनपर प्रसन्न होजातेहें । जो मक्तिपूषेक ऋषिकी बनाई यह संहिता छिसतेहें उनका स्वगंमें वास होतांहै । यह उपाख्यान आयुका बढानेवाठा सोमाग्यजनक और प्रापनाशक है। श्राइकाठमें पंडितके मुखसे वेदतुल्य यह रामायण ब्रंथ सुने जो मनुष्य इसका एक चरण भी पढ़े वह अपुत्र होनेसे पत्रवान निषन होनेसे धनवान ओर पापी होनेसे पुण्यवान् होजाताहे । जो मनुष्य दिन रात पाप करता है वहूंगी यदि ध्यानधरके इसका एक ठोक पढढ़े तो सब पाप ताप विठापसे छूटजाय । अश्भेष वाजपेय यज्ञ करनेसे जो फठ मिठताहे रामायणके एक अध्याय पढ़नेसे उसी फ़की पाप्ति होती है । बहणके समय कुरु-
User Reviews
No Reviews | Add Yours...