भरत - मुक्ति | Bharat Mukti

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Bharat Mukti by आचार्य तुलसी - Acharya Tulsi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्रन्यान्य ब्यस्तदाों के; बार ऐसा न हो सक्रा। भरत और बाहुबली का बारह दर्षीय युझनवरंन थो उसी काब्य में मिलता है, भतः प्रस्तुत काब्य में उसी वो झाघार माना है । मै चाहता था, यह काव्य लघुकाय हो हो, पर ज्यों- ज्यों रचना होती गई, विस्तार भी उसो प्रकार होता गया । यह कैसा बना है, मेरे लिए यह विमपंसीय नहीं है। प्राचीन व नवीन दोनों ही पद्धतियों का ययास्वान प्रयोग मुझे उचित प्रतीत हुमा । कांव्य-रचना भें एक भोर जहाँ साहित्य-मनीपी मेरे केन्द्र थे, वहां साधारण पाठकों को भी मैं कैसे भुला सकता या। प्रस्तुत बाब्य घी रचना भे शिष्य श्रमणा सागर व महालचन्दजी सेटिया (परदारशहर) के पोष सोहनलाल सेठिया का श्रम भी पूरा सहयोगी रहा है । धवन समारोह के प्रवरसार पर मेरे साहित्य का सम्पादन-कार्य मुनि মই कुमार श्रपम' ने प्रारम्भ करना चाहा भोर मेने उसे सहं सम्मति दी। जंतिक सजोवन, भग्नि-परीक्षा, प्रापाइभूति, श्री काछू उपदेश वाटिका, श्रद्धेय के प्रति মাহি का सम्पादन वह सनोयोग व तत्परता से कर चुका है । प्रस्तुत बदच्य का 'एक अ्रध्ययन' तुलनात्मक लिखा गया है, अत इममे भनक प्रयो षा पारायण स्वाभाविक था हो । एक भ्रव्ययन विस्तृत भ्रवश्य हो गया है, ढिन्त्‌ प्रन्चेषको के लिए उपयोगी बन पडा है। मुनि नगराज ने सम्पादन-कार्य मे मुनि महेन्द्र का मार्ग-दर्शव किया है । # মূ সাহা है कि यह काव्य जहाँ हमारे सघ के स्ाधु-साध्वियो के लिए देशा-सूचन का कार्य करेगा, वहाँ स'हित्यिक जगत्‌ को भी प्रीणित करेगा । बि० स० २०१६ माय द° २ रोछेड (राजस्थान) সাজান तुलसी




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