दक्षिण के देश रत्न | Dakshin Ke Desh Ratna

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : दक्षिण के देश रत्न  - Dakshin Ke Desh Ratna

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about राजेन्द्रसिंह गौड़ - Rajendrasingh Gaud

Add Infomation AboutRajendrasingh Gaud

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
२७ दक्षिण के देश-रत्न ॐ किन्तु उनकी मृत्यु ( १६४०७ ई० } के वाद शिवाजी स्वतंत्र हो गये। पिता वी जागीर पर भी उनका अधिकार हो गया। इससे उनकी शक्ति बढ़ गयी । गनी तयति को युद्दु करने के लिए उन्दने रायगढ़ को अ्रपना दुरं वना लिया । ग्रयने माता-पिता की भाँति शिवाजी भी महत्त्वाकाँक्षी थे। आरंभ में कई दर्मो पर विजय प्राप्त करने से उनका उत्साह बराबर बढ़ता गया और फिर वीजापुर उनकी ठन गयी । उस समय बीजापुर का सुल्तान मुहस्मद आदिलशाह (१६२७- ५६ ई० ) था। उसके ज्ञासन-काल में शिवाजी ने पुरन्दर के दुर्ग पर अधिकार कर लिया। इसके कुछ दिन बाद ही बीजापुर के सुल्तान ने दरबारी-सभ्यता का उल्लंघन करने के अपराध मे काहजी को बंदी बना ( १६४८ ई० ) लिया और उनकी जागीर छीन ली। यह देखकर शिवाजाजी ने बीजापुर के विरुद्ध मगलों की सहायता करने कौ धमकी दी । बीजापुर के सुल्तान धमकी में ग्रां गये और उन्होंने शाहजी को मुक्त कर दिया | সন विता के कहने से शिवाजी कुछ दितों तक शांत रहे और ,अपनी शक्ति बढ़ाने में लगे रहे । इन्दी दिनों समयं गुरं रामदास से उनको भेट हुई । गुरु राम दास से शिवाजी को नई स्फूरति मिली । शिवाजी ने उनको सलाह से अपनी सेना का संगठन किया और १६५६ ई० में मुहम्मद आदिलशाह की मृत्यु होने पर उन्होंने जावली (१६५६ ई०) ओऔर कोवकत (१६५७ ई०) को अपने अधिकार में कर लिया । इससे उनकी शक्ति भ्रघिक बढ़ गयी । उस समय शाहजहाँ के पुत्र औरंगजेब दक्षिण के सूबेदार थे। बीजापुर के तत्कालीन सुल्तात भ्रली आदिलशाह हितीय ( १६५६-७२ ई० ) के साथ उनका युद्ध हुआ और अन्त में समझौता होगया । इसी समय औरंगजेब को शाउजहाँ की बीमारी की सूचना मिली और वह अपने घरेलू भंगड़ों में फैंस गया | इस प्रकार शिवाजी के लिए मैदान साफ हो गया । अवसर पाकर उन्होंने प्रतापगढ़ में अपना एक सुदृढ़ दुर्ग बनाया और उसमें उन्होंने अपनी इष्टदेवी भवानी की स्थापना की । शिवाजी की बढ़ती हुई शक्ति से बीजापुर के सुल्तान भयभीत रहते ये । उल्तान मुहम्मद आदिलशाह मर ( ११ नवम्बर, १६५६ ई० ) चुका था और उसका अल्पवयस्क पुत्र अली आदिलदाह सुल्तान था। उसकी माँ बड़ी साहबा शासन-कार्य चलाती थीं। इसलिए उन्होंने अपने सेनापति श्रफ़जल खाँ के नेतत्व में ক] তং 4 रस्‌




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now