मंदिर का हाथी नाटक | Mandir Kaa Haathii Natak

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Mandir Kaa Haathii Natak by एच बालसुब्रह्मन्यम - H. Balsubrahmnyamओम चेरी एन एन पिल्लै - Omcheri N. N. Pillae

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एच बालसुब्रह्मन्यम - H. Balsubrahmnyam

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ओम चेरी एन एन पिल्लै - Omcheri N. N. Pillae

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मंदिर का हाथी भास्करन कंबर भास्करन गायक भास्करन कंबर गायक कंबर भास्करन कंबर ऊं ... स्क्रिप्ट के पन्ने पलट रहा है अबकी बार कथा जोरदार होनी चाहिए । ऐसा मजमा बांधें कि चार सीजन के बाद भी बुकिंग चलती रहे। मंचन एकदम निराला हो । गाने ऐसे हों कि लोगों के कानों में गूंजते रहें । अपने ये मंदिर वाले कलाकर हैं न मंजे हुए हैं। इघर बुकिंग मिलने पर वे मंदिर की ड्यूटी से चार महीने की छुट्टी लेंगे। अर्जी नहीं भी दी तो कौन पूछेगा ? जवाब तलब हुआ तो फौरन हड़ताल ... घेराव । मिंदंग और हार्मोनियम के साथ गायक और ढोलकिये का प्रवेश / दोनों मंदिर के कलाकार हैं / आओ आओ । आज हम लोग रिहर्सल पूरी करके ही यहां से हटेंगे । हम तो भैया हमेशा ही तैयार रहते हैं । रोज ही पूजा के बाद तैयार । मगर यह कंबर मिले तब न? किबर से भई आइंदा रिहर्सल में कभी नागा नहीं होना चाहिए । कलाकारों से हां कहे देता हूं। आगे से रिहर्सल में नागा नहीं होना चाहिए एक दिन के लिए भी नहीं । आई बात समझ में ? कमाल है भई चित भी तरी पट भी तेरी । हमारी वजह से थोड़े ही रुकती है ? एक बात सुन लो रिहर्सल में कसर रह गई तो गीत के बोल कहीं और जाएंगे तान कहीं और । तो शुरू करें ? हां हां । करें शुरू ... लेकर प्रभु का नाम । भास्करन बीच में बाई ओर कंबर और दाएं गायक और ढोलकिया-बरगद के चबुतरे पर कतार में खड़े होते हैं | गुरु ... एक बात सुन लो | कार्यक्रम का उद्घोष है न जोरदार होना चाहिए । इस पर मैंने कुछ सोच रखा है बताता हूं अभी । पर्दा उठने से पहले एक भारी-भरकम गोंग ... आगे बढ़कर योंग ठोंकने का अधिनय 1. गोंग - गोलाकार टिकली जिस पर हथोड़ी मारकर घंटा-ध्वनि की जाती है घड़ियाल ।




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