भारतीय बैंकिंग | Bhartiya Banking
श्रेणी : अर्थशास्त्र / Economics
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15 MB
कुल पष्ठ :
308
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भमिका
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ছিদলী में श्रथेशासत्र सम्बन्धी पुस्तकों की बहुत कमी है ।
इस विषय के कुछ अंग तो ऐसे हं जिन पर पक भी उत्तम
पुस्तक श्रमी तक प्रकाशित नहीं हुई है ।
वर्तमान काल में बंक आ्िक उन्नति का प्रधान साधन है।
इसलिये बेक सम्बन्धी कायों का विवेचन अथशास्त्र का
प्रधान अंग माना जाता है। यद्यपि भारतीय बेंकों के सम्बन्ध
में संक्तित रूप से विवेचन हिन्दी की अ्रथशासत्र सम्बन्धी
कुछ पुस्तकों में थोड़ा-बह्ुत दिया हुआ है, इस विषय पर
हिन्दी भे कोई स्व॒तन्त्र पुस्तक मेरे देखने मे श्रमो तक नहीं
आई । अंग्रेज़ी में इस विषय पर सकड़ों उत्तम पुस्तक हैं ओर
भारतीय वेका के सम्बन्ध में भी पुस्तक अब निकलने लगो हैं।
हिंदी में इस विषय की उत्तम पुस्तक का श्रभाव खटकता था।
हषं की बात है कि हिंदी के होनहार लेखक श्रीमान द्वारकालाल
जी गुप्त ने इसी कमी को पूरा करने का प्रयत्न किया है ।
मेने इस पुस्तक की पांडुल्िपि श्रादि से श्रन्त तक पढ़ी
शोर मुझे वह बहुत एसंद् आई । पुस्तक बड़े परिश्रम से लिखी
गई है ओर उसमे भारतीय बक सम्बन्धी प्रायः सव आवश्यक
बातों का समावेश कर दिया गया है। पुस्तक पढ़ने से मालूम
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