क्या मैं अन्दर आ सकता हूँ | Kya Main Andar Aa Sakta Hun
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
170
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मुझे भी कहना है ११
इस स्वप्नका श्रथ क्या था ? स्वरप्नोका क्या कूठ प्रथ भी हुआ करता
है ?
स्वप्नोंका कुछ ग्रर्थ होता हो या न होता हो, इतना भ्रवश्य है कि कु
स्वप्न सुन्दर होते है--उन स्वप्नोको देखते समय सुख मिलता है श्रौर उनकी
यादकी मिठास भी कुछ समय तक बनी रहती है । कुछ स्वप्नोसे देखनेवाले
को कभी-कभी सोचनेके लिए कुछ कामका मसाला भी मिल जाता है ।
जिन तीन व्यक्तियोंको इस आदमीने दूसरे स्वप्नमें देखा उन्हें वह पहले-
से ही जानता था, उनके कृपा-पूर्ण सम्पर्कमें झानेकी कभी-कभी उसने कुछ
कामना भी की थी श्रौर उनके सम्पकको श्रपना सबसे बड़ा सुख और सौभाग्य
मान सकता था । इनके निकट सम्पकंको यह् সনি दुलभ भी मानता था ।
उन तीनों मूतियोकी याद करते-करते वहू कं देरके लिए बिछौनेपर पड़ा
हुआ एक गहरे सुखमं नहा उठा ।
और तब उसे ध्यान आया कि वह केवल एक सपना ही था । वह केवल
एक झूठा दृश्य ही था, इस बातकी उसके मनमें एक टीस भी कसक उठी ॥
निस्संदेह, इससे उसके मनको एकं पीडा भी हु ई ।
वह सोचने लगा--क्या यह बिलकुल श्रसम्भव है कि वह् सुन्दरी
सचमुच उससे कुछ प्रेम करती हो या आगे कर सके; उस राज्याधिकारी-
की कृपा-दुष्टि और उस सर्वेमान्य लोकनायककी सहृदय मित्रता उसे कभी
प्राप्त हो सकती हो ! सोचते-सोचते उसके हृदयमें इन तीनोंके सम्परकंकी
कामना स्पष्ट रूपसे जाग उठी ।
अचानक स्वप्नकी एक नई विशेषता उसकी स्मृतिमं कौंध उठी । पहले
स्वप्नमें उसने केवल श्रावाज़ें सुनी थीं और जागकर उन श्रावाजोका श्रथ
जानने श्रौर उनके बोलनेवालोका रूप देखनेकी कामना भी की थी । स्वप्न-
की इस विदोषताका ध्यान श्राते ही हषं श्रौर भार्चयंकी एक भावना उसके
हृदयमें उबल पड़ी । स्वप्नकी सार्थकतामें उसकी कुछ श्राशा-सी बंध गई ।
किसी सुन्दर स्वप्नको इच्छा करनेपर दुबारा देख सकना और इच्छा-
नुसार ही उसकी कुछ गहराइयॉमें भी जा सकना एक भ्रत्यन्त सुखद श्रनुभव
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