इतिहास पूर्व भारत | Itihas Purv Bharat

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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4 मिलता है। हम सोचने लगते हैँ किं जिस नाति ने रामेश्वरम्‌ , अजन्ता, भुवनेश्वर, वेख्र , हकठेबीड, ओर किर उत्तर मे भसंख्य मीनार, किलि ओर महल का निर्माण किया और जिसने कालिदास, शंकराचार्य और बुद्ध जैसे महापुरुषों को जन्म दिया, उसमें कुछ न कुछ सत्व छिपा ही होगा। इस सभ्यता के बिषय में इतिहासज्ञ हमें बताते है। फिर भी लिखित इतिद्ास के प्रष्ठों में हमारे सब प्रश्नों का उत्तर नहीं मिलता । हम कहते हैं कि हाँ, दो या तीन हज़ार वर्षों से हमारे पूर्व सभ्य थे। पर उससे पहले का क्या हार है? भारत की मूल प्रजातियाँ क्‍या थीं? हज़ारों वर्ष पहले, पुरापाषाण कार (?०००४४४० 28०) में मनुष्य गुफ्राओं में वास करता था, वनों में भटकता था और शिकार करके अपना जीवन निवाह करता था। यह सब (५2९०1००५) पूखदोषविज्ञ बताते हैँ | जहाँ पर भूत काल की कथा, इतिहासज्ञ छोड़ देते है-कर्यों कि चार-पाँच हज़ार वर्ष पूव उन्हें ऐतिहासिक लेख्य नहीं मिलते हैं-वहीं पुरवशेषविज्ञ उस कहानी को लेकर चार-पाँच लाख वर्ष पूब की सम्बन्ध-कटि (09010601108 1015) स्थापित करते हैं । यह केसे किया जा सकता है! पुरवशेष विज्ञ उस प्राचीन समय के असंस्कृत मनुष्य के अनछाश्म (#॥10 ओर पत्थर के यन्त्र (जो कि नदियों के उत्तरनों (एण्य 179०९) मं पाये गये हैं) का अध्ययन करके अनुमान से उसका चित्र खींचते हैं। इसी प्रकार पुरापाषाण मनुष्य के यन्त्र निवास-स्थान, ओर गुफाओं के चित्रों (००४९ 7क्ष०५78») को देखने से, हमें इस इतिहास पूवे अवधि का कुछ ज्ञान प्राप्त होता है। पुरापाषाण काल के यन्त्र, गुफ्राओं के चित्र इत्यादि के अध्ययन से पुरवशेषविज्ञ यह भी निश्चय करते हैं कि इतने हज़ार वर्षों के पूर्व मनुष्य किस हद तक सभ्य हो गया था। यदि वह गुफ़ाओं में रहता था तो इसका




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