भट्ट निबन्धावली भाग 2 | Bhatt Nibandhawali Bhag 2
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
148
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)गोध मनोयोग ओर युक्ति १५
ज्ञान (कॉमनसेन्स) के पक्षपातीं हैं| वे कहते है; किसी वस्तु के विचार
में बहुत-ला तक-वितक व्यर्थ है केबल साधारण ज्ञान के द्वारा कार्य
करना चादिये। उन कोगों का यह भी मत है कि साधारण ज्ञान॑ बिना
विचार कै उस्र दता दै अर्थात ऐसा ज्ञान मन का एक स्वाभाविक धर्म
है। हमारे देश में उसे साधारण शान न कह, समझता, जी में बैठना
मालूम पड़ना इत्यादि शब्दों का प्रथोग उसके लिये करते हैं।
साधारण शान सदा सत्य नहीं होता कितने ऐसे विषय हैं. जिनका युक्ति
साधारण शान के भीतर नहीं श्राती और जिसका विचार करने को हमारा
साधारण ज्ञान समर्थ भी नहीं है। बहुधा होष, बुद्धि, ईर्ष्या इत्यादि के
कारण भिथ्या होती है इसलिये जिसे समझना कहेंगे उसमें आधा
साधारण ज्ञान रहता है और आधा हेप आदि फे कारण मिथ्या बोध
है । उत्कृष्ट बोध साधारण ज्ञान और सर्वोत्कृष्ट युक्ति तीनों से उनका
समभाना रहित होता है | भारत के कुदिन तभी से श्राये जब से लोगों
में ऐसी समझा का प्रचार ॥आ | वेद ये समय जये ब्राह्मण् का यष
पूरा आधिफ्तय रहा ऊपर लिखी हुई तीनों बाते उत्कृष्ट बोध, साधारण
शान, सर्वोत्कृष्ठ युक्ति, अच्छी तरद प्रचल्चित थीं; अरब केवल सममः
शेष रही ।
शेप में श्रव हम यह कहां चाहते हैं कि थुक्ति और सत्कृष्ट बोध
दोनों की चेशा हमें करना चाहिए बिना बोध (फीलिंग) कोई साधारण
काथ भी नहीं सिद्ध दो सकता और बिना युक्ति के सत्य-विचार मन में
नहीं श्रा सकता इसलिये श्रपनी उन्नति चाहने वाले को दीनीं को मसों-
बाकू कार्य से सदा सेवन करना चाहिये । परस्तु पहले थुक्ति द्वारा
सिद्ध कर ही कि यह काम उपकारी है तथ अपनी अभिदसि प्रकाश
कर | धीरे-धीरे उस काम के करने में एफ प्रकार का बीध पैदा हो
जायगा तब उसके करने में उत्ताद बढ़ेगा | इसी बोध के बढ़ने से
स्वाधीनता प्रिय लूधर ने केथोलिकों के अत्याचार से समक्तं यूरोप करौ
य्वा रक्वा श्रौर् वाशिंगठत ने श्रभेरिकी कौ एवष्छन्द केर दिषा।
User Reviews
No Reviews | Add Yours...