केशव - ग्रन्थावली खंड 1 | Keshav Granthavali Khand 1
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
25.12 MB
कुल पष्ठ :
244
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about विश्वनाथ प्रसाद मिश्र - Vishwanath Prasad Mishra
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मथ नायिका-जाति-वर्णन-- दोहा प्रथम पश्चिनी चित्रनी जुवती जाति. प्रमान । बहुरि संखनी हस्तिनी केसवदास बखान ॥ १ ॥ मय पद्मिनी-लक्षण-- दोहा सहज सुगंध सर्प सुभ पुत्य प्रेम सुखदानि । तनु तनु भोजन रोष रति निद्रा मान बखानि॥ २॥। सलज सुबुद्धि उदार मद हास बास सुचि अंग । अमल अलोम अनंग-मुब पंदमिनि हाटक रंग॥ हे ॥ घड्यिनी यथा-- कबित्त हंसत कहत बात फूल से झरत जात गढ़ भूरि हाव भाव कोक की सी कारिका ॥ पन्नगी . नगी-कुमारि. आसुरी सुरी निहारि ........ हारों वारि किन्नरी नरी गँवारि नारिका। ताप हों कहा हवैं जाउं बलि जाउं केसवदास रची बिघि. एक ब्रजलोचन की तारिका । भौर से भंवत अभिलाष लाख भाँति दिव्य चंपे की सी कली वृषभान की कुमारिका ॥ ४ ॥। . मथ चित्रिणी-लक्षण-- दोहा ... नृत्य गीत कबिता रुचै अचल चित्त चल दृष्टि। बहिरति रति अति सुरत-जल मुख सुगंध को सृष्टि ॥ ५ ॥। विरल लोम तन मदन-गृह भावत सकल सुबास । मित्र-चित्र-प्रिय.. चित्रनी जानहु .. केसबदास ॥ ६ ॥। बोलिबो बोलनि को सुनिबो अवलोकनि के अवलोकनि जोते । नाचिवों गाइबों बीन बजाइबो रीझि रिझाइ को जानति तो ते ॥ राग बिरागनि के परिरंभन हास-बिलासनि तें रति कोते। तो मिलती हरि मित्रहि कों सखि ऐसे चरित्र जी चित्र में होते ॥। ७ ॥ है केसवदास-केसवराइ बाल ० रस० । २ बखानि-सुजान बाल० 1 दे | सलज-सहज बाल० खं० । ४ भंवत-भ्रमत रस ० । ४ | बहिरति-विहरत बाल ० । मुख-मघु बाल० रस० 1...
User Reviews
No Reviews | Add Yours...