केशव - ग्रन्थावली खंड 1 | Keshav Granthavali Khand 1

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Keshav Granthavali Khand 1 by विश्वनाथ प्रसाद मिश्र - Vishwanath Prasad Mishra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मथ नायिका-जाति-वर्णन-- दोहा प्रथम पश्चिनी चित्रनी जुवती जाति. प्रमान । बहुरि संखनी हस्तिनी केसवदास बखान ॥ १ ॥ मय पद्मिनी-लक्षण-- दोहा सहज सुगंध सर्प सुभ पुत्य प्रेम सुखदानि । तनु तनु भोजन रोष रति निद्रा मान बखानि॥ २॥। सलज सुबुद्धि उदार मद हास बास सुचि अंग । अमल अलोम अनंग-मुब पंदमिनि हाटक रंग॥ हे ॥ घड्यिनी यथा-- कबित्त हंसत कहत बात फूल से झरत जात गढ़ भूरि हाव भाव कोक की सी कारिका ॥ पन्नगी . नगी-कुमारि. आसुरी सुरी निहारि ........ हारों वारि किन्नरी नरी गँवारि नारिका। ताप हों कहा हवैं जाउं बलि जाउं केसवदास रची बिघि. एक ब्रजलोचन की तारिका । भौर से भंवत अभिलाष लाख भाँति दिव्य चंपे की सी कली वृषभान की कुमारिका ॥ ४ ॥। . मथ चित्रिणी-लक्षण-- दोहा ... नृत्य गीत कबिता रुचै अचल चित्त चल दृष्टि। बहिरति रति अति सुरत-जल मुख सुगंध को सृष्टि ॥ ५ ॥। विरल लोम तन मदन-गृह भावत सकल सुबास । मित्र-चित्र-प्रिय.. चित्रनी जानहु .. केसबदास ॥ ६ ॥। बोलिबो बोलनि को सुनिबो अवलोकनि के अवलोकनि जोते । नाचिवों गाइबों बीन बजाइबो रीझि रिझाइ को जानति तो ते ॥ राग बिरागनि के परिरंभन हास-बिलासनि तें रति कोते। तो मिलती हरि मित्रहि कों सखि ऐसे चरित्र जी चित्र में होते ॥। ७ ॥ है केसवदास-केसवराइ बाल ० रस० । २ बखानि-सुजान बाल० 1 दे | सलज-सहज बाल० खं० । ४ भंवत-भ्रमत रस ० । ४ | बहिरति-विहरत बाल ० । मुख-मघु बाल० रस० 1...




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