चिराग तले | Chirag Tale

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Chirag Tale by ख्वाजा अहमद अब्बास - Khwaja Ahamad Abbas

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about ख्वाजा अहमद अब्बास - Khwaja Ahamad Abbas

Add Infomation AboutKhwaja Ahamad Abbas

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
ক ক টি धरा १ হান নী ছু र सुम्कराना, हैमता, नीद-भादमे से गोज्नरता हुझ्ला एक अजीब नशे में दर पद पपने घर को तरफ चल पढड़ा। रेले, ट्रामे, बसे सब खचा- पद भरी एृ॒ईं थी। कोई सवारी मिक्तनी भी असम्भव थी । सो पैदल ध षट पालगराठेयी, লাহজালা, लालपाग होता हुश्रा परेल पहुँच गया। एर सड़क पर भीढ़ लगी हुईं धी, हर द्रिर्दिग नीचे से ऊपर तक गणनिय्ों से जगमगा रही थी - रोशनियों जो उसने या उस जैसे मज्ञ- धय न लगाई थीं, जिनके लिए उस जैसे मज़दूरों ने अपनी जानें जोखों में राजी थी । सहव पर लोग रोशनियाँ देखने के लिए निकले हुए थे । पर एशधे ऐंप रहे थे, था रहे थे । बौर उसका दिल भी गा रहा था । परत व पुल से जब उसने सारे शहर को जगमगाते हुए देखा तो তন লাঘা--মহ জালা करोझें रोशनियाँ ऐसी लगती हैं जेसे रात प1 पाला रज्दणसैषफो मोतिप्‌ के सफेद फूलों के गज़रे पहना दिए गए 011 थोर पिर अपने वाव्यमय विचारों पर वह खुद ही शरमा-सा | सगर दमने सोहा, पर जावर यह वाच पनी गौरे को वा उंगा । एह यह रुनवरर्‌ वहत छण होगी ˆ पग चद यात उसके मन हो में रहो और वह गौरी को न यता सदा] बयोदि जिस संग गली में डनग्गे बाल धी, वहाँ तो एक गेंस की ८९) पना मेल दिसरता हुथा मु ह लिए जल रही धी। सब्कों थोर पानाग वो जगसगाहट र द्राद शस गली की सद्धम रोशनी उसे श्रैधेरा 117२ । प्ररि गपषाता रास्ता टरोलता श्रपनी चाल तक पहुँचा । ইহার स्पेतियों पर एप शेर था भौर उन पर घटना उसे घटा-घर পা नी स्यादा खतना जगा | कई दूसरे कमरों में {ध हहं पा हुए से घिरी हुई थीं । सगर खुद उसके कमरे दोदी ने कहा-- श्राज बाज़ार में हेल नहीं का সূ कई 5 » हा धा। उसकी पिल्‌ + घर एम एढ से हद बालों राजइनारी के गले में मोदिए के गजरे एए, स्रुछरद सोद्ोक्ति बे च्ल गयालो दह रास्वे-भर श्रना पत्नी




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now