श्री प्रवचनसार टीका अथवा ज्ञेततत्त्वदीपिका : खंड 2 | Shri Pravachansar Teeka Athwa Gyantatvdeepika : Khad 2

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Shri Pravachansar Teeka Athwa Gyantatvdeepika : Khad 2 by ब्रह्मचारी शीतल प्रसाद - Brahmachari Shital Prasad

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१९ सथ चलाया था | उनी द्री श्रीमती श्री सुल्तीमाईसे झुम मिती साधिन शु्छा २ विक्रम सवतत १९४८ दृस्वीो च्छु पुत्र खम चिरमीछालमीका शुभ जन्म हआ | चिरनीलारनीके इस समय छोरी सीते उत्पन्न १ एक पुत्री और ५ युप्ररत्न वियमान हैं । ऊपर वर्णब किये गये बानारवाठे मदिरिकी विम्बप्रतिठा सबंत १९६५ में हुईं थी। उस समय ठाला बद्ीदासनीरी तरफसे प्रतिष्ठामे आये हुए अनुमान वीघ्तदनार भार्यो ज्योनारादिकमे ঘাল दिनतऊक बराबर जेनधर्मके प्रभावनाथ पत्कार किया गया था। आपने धामारके मदिरमें सुनहरी तथा चिप्रकारीज्ञ काम करानेके ल्यि अच्छी सहायता की थी | वर्तमानमें चलती हुई “ जैन ह्वाइस्कूल ” और सम्झुंत धर्मिभाग नामझी सत्त्थाओंमें भी आप मासिकरूपमें अच्छी सहायता देरे है व आपने स्कूल्में एक कमरा भी अपनी तरफसे बनवा दिया है। ओर यधावस्तर घामिक तथा पचायती कामोंमें द्ृव्यादिकक्ी सहायता देनेमें भी कमी नहीं करते है। आप पानीपतके खिरनी- परायफे मुहछेमें रहते हैं। वह शहरसे अनुमान एक मील दूर है ! उमर मुहल्लेमे जेनियोंके दुश या बारह धर हैं| वे शहरमें दर्शन करनेसे चचित रहते थे | इसलिए गत मार चौमासेकी स्थितिमे श्रीमान्‌ झह्मचारी झीतल्प्रमादनीने प्रेरणा करके बहापर স্হান बनानेफी आवश्यकता दिखाई थी। उप्त समय আমন अपना अप्तीम घर्मप्रेम प्रदर्शित कर আক बननेके लिये २१ ०») रुपयेकी रकम चिट्ठेमें'ल्सि दीं थी [अग्र वह नेत्याटय बन रहां है।




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