हिन्दू पद - पादशाही | Hindu Pad Padshahi
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
254
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)[ !६ |]
हिंदु यवरनों के शासन को अधिक काह्न के लिए सहन न कर सके । इस
पत्र में उन लोगो ने धर्मान्ध, ग्रस्प्रायो यवनां न शासन का বালা সামী
नग्त चित्र खींचते हुए लिखा था -- हम लोग जिधर्यियों के निर्दयी गज्य
से अत्यन्त पीड़ित हैं, এল नन, धन वल छुचला जा रहा है, चोर हमारा
धर्म मिट्टी में मिलाया जा रहा है । इसलिये हे हिन्दू-धर्स के रक्षक !
दुष्टों का दमन करने वाले ! विदेशी राज्य को धूल में मिलने चाल
शित्राजी महारा ! घ्याइये, शीघ्र श्राइये; दम द्ग दस समय “लापति
यूसुफ तथा उनकी सेना के अथोन हैं. । हमारा धन जम उन्हीं है हाथ में
| इसने इमें आपने ही घरों में केदी बना रखा है| द्वार पर তিল
पद्ण बिठा दिया हैं । मारा श्न जन गा দম हमें भूस्था सारने का
प्रयत्न कर रहा है। इसको सालुस हो गया है फ हम लोग आपमे
पद्दानुभृति रखते हैं ओर आपके बुलाने के लिये पट्यन््र रच रहे हैं ।
लिये हम दीन दिन्दुओं पर दया कर, गठ को दिन सममें, ओर
जतना शीघ्र द्लोलके आकर हमें कात्न के गाल से छुड़ाने की कृपा करें।
महाराष्ट्र की सीमा के बाहर वाले हिन्दुओं के आत्त नाद ने
शिवाजी फे हृदय पर कैपा प्रभाव डाला, यह लिखना व्यर्थ ६, क्योकि
जिनके जीवन का एकमात्र उदेश्य हौ दिन्दू-धर्म की रक्ा करना था, वे
भला ऐसे श्रवसर परक विलम्ब कर सक्ते थे | शी्रही मरहदों का
प्सिद्ध सेनापति “हस्मीग्राव” अपनी सेना लेकर वद्दां जा पहुंचा और
उसने बीजापुर की यवन सेना को कई युद्धस्थर्लो पर पृगां रूप से पराजित
केया और हिन्दुओं को मुसलमान अन्यायियों के चंगुन सं,छुड्टा कर उस
पान्त को म्लेच्छ शासन से मुक्त करा दिया ।
पूत्ता शोर सुपा को छोटी जागीरों का उचित प्रवन्ध कग्के, तथा
ग्पने बारद सावलों (ज़िलों ) को पूणी रूप से संगठित करने के
प्रनल््तर, शिवाजी ने लगभग १६ चर्ष की अवम्था में अपने कुद्द चुने-
[7 श्रमुख बीरों की सद्दायता से उस प्रान्त के तोराना और दूसरे प्रसिद्ध
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