बल्लभकुल चरित्र दर्पण | Ballabhakul Charitr Darpand-a

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Book Image : बल्लभकुल चरित्र दर्पण  - Ballabhakul Charitr Darpand-a

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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গত कृ सतचराक्थय। रद्‌ -~-~------~--~----- -----------~- ~ ~न - ~~~ +---~-------~ ~ = ~~~ अलकनन পিপল नौ পাশ ण সেই न) जनन ~~~ + ~~~ ~~~ ~~न ~----------~-- | चेला सहित आपका धमै অত दंडके चसे गये पर आप | के दर्शन न हुये. आपकी जय हिय अब में आपकी | शरण हूं दोन जानिके बेडाके पार लगाना इस भांति बन्दना करिके उमके भोग रागकी तजबीज कर बाहर | आये और कहने लगे जे! यामें ते! काई अलौकिक जोव | है सो न जाने कहा कारणसे या तरक जाति प्रगट भयौ है यह तौ हमरे साक्षात अंयहै पीठे वाके অ- मना र्लान कराय श्री ठाकर जी को फ्रांको निरखाय ब्रह्मसस्वन्ध दे सेवामें अंगोकार कियों पीछे लखनऊके कालिका दीन बिन्दा दीन कत्यक और आगरेकी मुन्‍्नो जान बेश्या ये भी आय पहुंचों । बेटे वाले भट्ट ती इनके आनेसे कहे दिन पहिले के यहां मौजद थे और ब्याहके मामली टेहले हे! रहे थे इन ताइफे के कड़े दिवस पहले महाराजा घिराज गेास्वासी | श्री १०८ कल्याण रायजोीने अपने देश देशके सेवकों की | पीले चांवल और कंकेत्रो (पत्र) पठाई हुती-- (कं के! चौ) श्री बिल्ल नाथो जयात | स्वस्ति श्रीमद्‌ गेस्वासौ श्री कल्याणरायजी शमणां | स्वकीयेषु परमबेष्णवेषु हरि गुरू सेवा परायण अन्तः | छरणेष श्री र समस्त देशक देष्णव सब परिवारेष सेवा | शभिय तत्रास्त अपरंच समाचार ९ जानेगे जो यहां भाद्‌ व्रजनायजीौ कौ पल्लो बेटी जौ कौ विवाह भित) | फालगुण शुक्वा ११ को है लगन को दिन बडे शुभ है




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