ग़ालिब के पत्र भाग 2 | Galib Ke Patra Vol 2

Galib Ke Patra Vol 2  by श्री राम शर्मा - Shri Ram Sharma

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

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जन्म:-

20 सितंबर 1911, आँवल खेड़ा , आगरा, संयुक्त प्रांत, ब्रिटिश भारत (वर्तमान उत्तर प्रदेश, भारत)

मृत्यु :-

2 जून 1990 (आयु 78 वर्ष) , हरिद्वार, भारत

अन्य नाम :-

श्री राम मत, गुरुदेव, वेदमूर्ति, आचार्य, युग ऋषि, तपोनिष्ठ, गुरुजी

आचार्य श्रीराम शर्मा जी को अखिल विश्व गायत्री परिवार (AWGP) के संस्थापक और संरक्षक के रूप में जाना जाता है |

गृहनगर :- आंवल खेड़ा , आगरा, उत्तर प्रदेश, भारत

पत्नी :- भगवती देवी शर्मा

श्रीराम शर्मा (20 सितंबर 1911– 2 जून 1990) एक समाज सुधारक, एक दार्शनिक, और "ऑल वर्ल्ड गायत्री परिवार" के संस्थापक थे, जिसका मुख्यालय शांतिकुंज, हरिद्वार, भारत में है। उन्हें गायत्री प

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मुंशी नवी .वर्श 'हकीर' के नाम मौजूद हैं, वाद इस्लाह' के श्राप के पास भेज दूंगा। घवराइए नहीं और खातिर जमा रखिए। मुराँ कोवए वानुवाँ-वानू बादशाह की वीवी को कहते हैं और. अलिफ़ नून ( रा) जमा* का है यानें वीवियाँ । मूर्गाँ बोवा की वह तरकीब है जो गुले रुख्सार* और माहे जवीं* की तरकीव है। याने वो शख्स कि जिसका रुख्सार मानिन्द गूल के है और पंशानी चाँद की-सी है और देवा मुर्गाष का-सा हैं । मुग्र ्रातिशिकदा का. कारफ़रमा और चूंकि बादशाहा ने पारस श्रातिश् परस्त थे तो वो ख़िदमत श्रातिदाकदों की झमायद* व श्रकाबिर* व अशराफ़* व उल्मा'* को देते थे । भौर शराब को चूँकि वो वहुत उम्दा चीज़' भौर पाक भीर मुतर्वारिक जानते थे और हर सिफ़ला'* और फिरोमाया 8 को नहीं पीने देते थे । ये भी मुग्रों के तहवील में रहती थी । ताकि वो जिसको लायक़ समझें:और श्रहल'* जानें उसको वक़द्ठे मुनासिव * दें। बहरहाल वो लोग यान मूग़ बहुत खूबसूरत और खुशसीरत'* श्रालिम फ़ाज़िल* तरहदार, वजलागो' < हरीफ़ ज़रीफ़'*' हुआ करते थ । इस राह से पारसियों ने मुर्गाँ देवा मदह माशूक़ों की ठहराई है। यानें चालाक और 'खुशवयान और तरहदार और तिरछा भीर वाँका सानिन्द मुयों के। भौर इसका ,नज़ीर हिन्दुस्तान में ये हैं कि जैसे किस वेंगम .या.उम्दा औरत को कहें कि. फ़लानी 'वेंगम था फ़लानी' औरत में कितना डोमनीपन निकलता है.। किस्सा मुख्तसिर, मुर्गों कोवा उस महवूव को कहते हैं. कि जो वहुत गरम और शूुख और शीरीं हरकात और चालाक हो । मुर्गा शेवा 1 : १. संद्योधन '। 7२. “ बहुवचन । ' ३८ ' युलोव जैसे: गालवाली-सुन्दरी । ४. चन्द्रमा के समान 'मस्तंकवाली 1 ५. ढंग । ६. पारंसी; श्रर्निपूजक लोग। ७. जाति के “सरदार: : ८. महान (व: व.) । १९. सम्य * (ब. व] मे १०, ' विद्वान - (बे० वे.) ११. पवित्र 1 १रं४ नीच ।' १३. ओछा । १४. पांच पे १५. उचित पेरिमोण' में । १६. सुस्वभाव १७: “विद्वान । १८. : विनोदी । १९. हसमख । थ हु दल:




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