हमारे नाटककार | Hamare Natakkaar
श्रेणी : नाटक/ Drama, साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
329
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ट हमारे नाटककार
१७, अंधेर नगरी :'' ** १६३८ १८. सती प्रताप : १६४० সেও)
$ ६, नवमल्लिक : (अ० अभ्र) २०. मृच्छकटिक :' “ˆ (अ०अग्नम०)
उपयुक्त सूची में श्र०, अ्रपूर्ण का और अप्र०, अ्रप्रकाशित का द्योतक
है | मच्छुकटिकः अप्राप्प है, शेष सभी प्राप्य हैं। इन समस्त नाटकों
को हम तीन भागों में विभाजित कर सकते हैं जो इस प्रकार हैं :--
(१) मौलिक --प्रवास, वैदिकी हिंसा हिंसा न भवति, सत्य हरि-
श्चन्द्र, प्रेमनोगिनी, विषस्य विष्मोषधम्, श्रीचन्द्रावली, भारत-जननी,
भारत-दुदंशा, नीलदेवी, अंधेरनगरी, सती-प्रताप और नवमल्लिका |
(२) अनूदित--रत्नीवली, पा्खंडविडंबन, धनंजय-विजय, कपूर
मञ्जरी, मुद्रा-राक्षस, दुलभ बन्धु ओर म्च्छुकटिक । इन नाठकों में से
र्नावली, धनंजय-विजय, पाखंड-विडंबन, मुद्रा-राक्षस ओर मृच्छ-
कटिक संस्कृत से, कपूरमञ्जरी प्राकृत से श्रौर दुलभ बन्धु अँगरेजी
से अनूदित हैं।
(३) रूपान्तरित--विद्यासुन्द्र बड़ला से रूपान्तरित है ।
शैली की दृष्टि से समस्त नाटकों का वर्गीकरण इस प्रकार है ;---
(१) नाटक- प्रवास, विद्यासुन्दर, सत्य हरिश्चन्द्र, मुद्रा-राक्षुस,
दुलभ बन्धु, नवमल्लिका शरोर मृच्छुकटिक ।
(२) नाटिका--रत्नावली, श्रीचन्द्रावली और प्रेमजोगिनी ।
(३) प्रहसन--अंधेरनगरी और वैदिकी हिंसा हिंसा न भवति |
(४) गीति रूपक--नीलदेवी ओर सती-प्रताप ।
(५४) रूपक--पाखंड-विडंबन |
(६) लास्यरूपक--भारत-दुदंशा ।
(७) भाण--विषस्य विषमोषधम् ।
(८) नाव्य गीत-भारत-जननी ।
(६) ब्यायोग--धनं जय-विजय |
(१०) सहक--कपू रमझ्नरी ।
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