जीवन वरत | Jivan Varat

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जीवन-वृत्त & कविता-पाठ के लिए सम्मेलनों मे जाना तो उनकी प्रवृत्ति के स्वंथा प्रतिकूल या । दुकान पर वैठे हुए था कभी मित्रो के यहाँ छपी हुई कविताग्रों का साधा- रण तौर से पाठ कर लिया करते थे। काडी नागरी प्रचारिणी सभा के कोशो- त्सव स्मारक समारोह के अ्रवसर पर उन्होनि सावेजनिक रूप से नारी ग्रौर लज्जा शीर्षक कविता का पाठ किया তা) विनोद और रुचि--इतना व्यस्त जीवन व्यतीत करने पर भी वे मनो- विनोद के लिए समय निकाल लेते थे । घर में बागवानी, शतरंज, कविता-पाठ গ্গীহ कभी-कभी सिनेमा देखना उनके विनोद के साधन थे । विशाल संसार ही उनकी खुली पुस्तक थी जिसका वे सतत अध्ययन करते रहते थे ! यों जगत्‌ के भौतिक रूप में लिप्त रहना उन्हें विशेष प्रिय न था । प्रसिद्ध है कि गोवर्धेन- सराय मुहल्ले से दशाइवमेध और दशाइश्वमेध से गोवर्धन सराय यही उनके संचरण की परिधि थी । इस सीमित परिधि में घूमकर भी वे जगत्‌ और जीवन की व्यापक 'प्रिधि को अपने प्रातिभ ज्ञान से समझ सके थे, यही उनकी क्रान्तरशिता थी । कवि-ह॒दय होने के साथ सौन्दर्य-प्रेम उन्हें विरासत में मिला था । ललित 'कलाओों में उनकी गहरी रुचि थी। संगीत के प्रति उनकी श्रभिरुचि का यह'* प्रमाण है कि वे गान-विद्या का आनन्द प्राप्त करने काशी की सुप्रसिद्ध गयि-' 'काओं के यहाँ भी जाते रहते थे । श्री विनोदशंकर व्यास ने 'प्रसाद का जीवन और साहित्य पुस्तक में प्रसाद जी के सौन्दर्य एवं कला-प्रेम का श्रच्छा विवरण दिया है। संगीत कला के साथ मू्तिकला और चित्रकला के प्रति भी उनका प्रेम था और इन कलाशों के पुरातन प्रतीक उनकी जिज्ञासा एवं कुतृहल के विपय बने रहते थे । सारनाथ के संग्रहालय मे प्राचीन बौद्ध मूर्तियों के अ्रध्ययन् में प्रसाद जी ने ग्रपत्ती निष्ठा का परिचय दिया था। प्राचीन भग्नावशेपों को देख कर उनके अच्तमंन में वे दृश्य साकार हो जाते जिनकी स्मृति उन ध्वंसावशेषों में तिरोहित हैं । प्रसाद जी ने सारनाथ के बौद्ध स्तूपों तथा श्रकवर की बनवाई अठमहल गुमटी से अपने काव्य की प्रचुर सामग्री एकत्र की थी । वसुधा के अंचल पर प्रकृति के जो रमणीय दृश्य बिखरे पड़े हैं उनमें स्रष्टा की लीला और 'विलास को देखना ही कवि प्रसाद को अभीष्ट था। प्रकृति-प्रेम की आधा र-शिला' तो उनकी शैशव की यात्रा से ही रखी गई थी किन्तु उसके बाद उन्होंने प्रकृति के मर्म को समभने में ही अधिक समय लगाया ।




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